मुस्कुराहट ला पता है अब मुझसे खफा- खफा है, मैं जनता हूँ क्यों क्योंकि जब वो मेरे इर्द गिर्द घूमती थी तब मैने उससे नही अपनाया आज जब मैने उसकी अहमियद जानी तो उसने मुझे नही अपनाया दोस्तों अनुभव कहता है चेहरे पर मुस्कुराहट हर हाल में सजाए रखना मैने इसकी ताक़त से जलने वालों को गिरते देखा है घूम रहा है सच गली गली खिल रहा है कली कली पर सबको कांटे ही पसंद हैं इसलिए ही सच अब खुले आम बंद है चकाचौंध में दिखाई ना देने वाले सन्नाटे ही पसंद हैं इसलिए आज के दौर में सच बोलने वालों से सब तंग हैं आज के दौर से थक कर जैसे ही दोष दीया मैंने वक़्त को वो कहता है छोड़ आए तुम उन्नीसवीं सदी में इस हुक को जाओ ये शिकवे किसी और से जा कर करो उस हसीं दौर के अब ख्वाब तुम करो मैंने भी थक कर ये सब तुमसे ही सीखा है मैं भी कोई खुश नहीं हूं पर तुमको सबक सिखाने के लिए यही रास्ता सींचा है