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Showing posts from January, 2021

कुछ अपने इस तरह रूठ गए

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ज़िन्दगी अक्सर भुजी भुजी सी लगती है.. कुछ अपने इस तरह रूठ गए कि क्या बताएं.. कहां- कहां से, किस-किस तरह हम टूट गए..  

बचपन

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जब छोटा था तब लगता था.. मैं कब बड़ा होऊंगा ये घड़ी कब तेज़ी से मेरे साथ भागेगी.. मैं बड़ा भी ..हो गया घड़ी तेज़ी से भाग भी रही है पर अब मेरी नज़र जाने क्यों.... बचपन में झांक रही है..  

anubhav

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मैंने ज़िन्दगी के साथ मन से सौदा कर लिया अब फेंके ले जितने मर्जी पत्थर मैंने मन में मिट्टी का पौधा भर लिया घुल जाएंगे सब और हमने उनसे भी खिलने का भी फैसला कर लिया... जिसको जो जब मन में आए कह देता है ... मैं दर्द दिखता नही हूँ.. इसका ये मतलब नहीं.... कि मुझे दर्द नही होता... या मैं इंसान नहीं हूँ एक बार समझा दो भाई मैं भगवान नहीं हूँ.. शुक्रिया  

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कमानाएँ

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इन रंगों की बात ही कुछ ऐसी है जहाँ भी दिख जाएं लगता है जय हिंद कहती हैं  

ये दुनिया अद्भुत है

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कहीं दर्द है तो कहीं दुआ है कहीं डोली है तो कहीं अर्थी है कहीं मजबूरी है तो कहीं चाह है ये दुनिया अद्भुत है... जो निकल गया ...सो निकल गया बस... वो उलझ गया जिसको सबकी परवाह है...  

anubhav

 

इबादत

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चांद की चाहत नहीं. .. जहां तुम हो हर इबादत है वहीं.. ये नज़ारा नहीं... खूबसरत तुम्हारा साथ है... मैं इक खूसूरत परिंदा हूं... जब तक तुम्हारे हाथों में मेरा हाथ है...  

अरे भई ...

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अब केहते है एक चिट्ठी ही छोड़ ...जाते.... अरे भई ... जब तब तुम्हारे पास वक्त नहीं था .... तो अब चिठ्ठी किसके लिए..  

बदल तो मैं गया था

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मैं समझा वक्त रूठ गया था मैं ग़लत था.. वक्त कभी नहीं बदला उस ही रफ्तार से चल रहा था बदल तो मैं गया था ..... जो खुद की गलती को नज़र अंदाज़ कर खुद को ही छल रहा था..............  

है प्रभु

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है प्रभु मांगने का हक़ तो नहीं..  पर फिर भी देदो  इस दुनिया को कोरोना से मुक्ति देद..  

सबक सिखा ही दिया....

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कोरोना ने आखिर कार सबक सिखा ही दिया.. दौड़ कैसी भी हो आखिर में.. सब एकेले ही हैं....  

सच्चा प्यार

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रास्ते भले ही अलग करलो... पर याद रखना हर मोड़ पर ... मैं ही टकराऊंगा सच्चा प्यार किया है तुमसे.. ऐसे ही थोड़ी लौट जाऊंगा....  

मां

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मां... समझा नहीं मैं तेरी मोहब्बत की छाया जब से देखा तुझे को ...खुद को तुझमें ही पाया... मैंने खुद को ढूंढा जग में ......तू जानती थी पर फिर भी .....तूने मुझको कभी नहीं जताया ये कैसी मोहब्बत है तेरी मां... मैं कभी यहां ...कभी वहां ..... पर तूने सदा मुझको अपने दिल से लगाया...  

मोहब्बत

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  उस कमरे की खामोशी ने कह दिया कि मोहब्बत है.. उस चुनरी की सलवटें बयां करती की दिल में हलचल है... आहें कह रही हैं कि कोई मन्नत है... बिन पिए शर्बत ये कैसी ठंडक है... अजीब सी छटपटाहट थी फिर होंठ रही थी वो सी.. लगा कि लब्ज़ कुछ कहेंगे वो कुछ और पल साथ रहेंगे.... पर चले गए.. एक कोरा काग़ज़ छोड़ कर हम ने भाग कर देखा तो वो इंतज़ार कर रहे थे मोड़ पर......

मोहब्बत

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गूंज है बाली की पायल की छन छन है..  ये कैसा असर है उनका  खिल गया तन मन है  मिलेंगे तो खिलेंगे यकीं है  मिलेंगे तो खिलेंगे यकीं है..  हां हैं...वो यहीं है..  हां वो... हर कहीं हैं... मोहब्बत तू खुद को ढूंढ के देख मैं दिख जाऊंगा मैं तुझे में ही तो हूं मिल जाऊंगा तुम्हारा इंतज़ार है तुमसे बेहद प्यार है रूह तुझमें रमने को बेकरार है आजा सनम मेरी हर धड़कन तेरी मोहब्बत की कर्जदार है  

मैं अनुभव के चलते वक़्त छाँटती हूँ

मैं अनुभव के चलते वक़्त छाँटती हूँ   

कदमों की सुनी तो राहें खोद कर भी निकल गए रास्ते ....

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किताबों ने सिखाया रास्तों को चुनना वक्त ने सीखाया रास्तों को बुनना रास्तों को बुनना र अनुभव पड़ा भारी ...... कदमों की सुनी तो राहें खोद कर भी निकल गए रास्ते .... किताबो से चला तो ...ढूढता रहा बने बनाए रास्ते....  

हम खुश नहीं खुशनसीब हैं

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आंखों में उसकी उबासी थी.. जिसमे छिपाई उसने अपनी उदासी थी.. हम पड़ पा रहे थे.. पर कुछ कर नहीं पा रहे थे.. बस उसका हाथ थाम लिया उसके साथ हूं ये विश्वास बांध दीया.... सिकंदर के जीवन से मिली सीख ने एक बार फिर जीने की चाहत को जागरूक कर दिया.. कि जीतना ही है तो किसी का दिल जीत कर जाना... क्योंकि सारा संसार जीत कर भी सिकंदर खाली हाथ ही गया था... हम खुश नहीं खुशनसीब हैं क्योंकि हम तुम्हारे सिर्फ़ तुम्हारे करीब हैं वकत चाहे जो करले हम एक दूसरे का नसीब है...  

हमारे कर्मों का ही सारा घपला था....

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नसीब से खिले थे हम .. नसीब में थे कुछ गम,.. नसीब में थे सुख नसीब में था कुछ कम.... सिर्फ़ देखने का नजरिया बदला था... हमारे कर्मों का ही सारा घपला था.... शिकायत अपनों की किससे और कैसे करू.. ये कुछ वो अपने है जो... या तो खून के रिश्तों से लिपटे है... या कुछ दिल के रिश्तों में सिमटे हैं...  

महोब्बत

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आंखों में तेरी उदासी दिखी जिसे पढ़ रूह तेरी प्यासी दिखी मेरे पास आ तुझे लगालू गले मान मेरी जान ... मेरे सपने सजे... आज भी तेरी छाओं तले... नहीं तैयार कर पा पर रहे हैं खुद को तुम्हारे बिना जीना मुश्किल है कैसे समझाएं तुझ को ... अच्छा सुनो तो सही.. रास्ते तुम्हारे होंगे.. मंज़िल भी तुम्हारी होगी.. एक बार- बस एक बार हमसफ़र की नज़र से देखो तो मुझे फिर तुम जहां तक देखोगी ... वहां तक हमारी नज़र में बसी हर तस्वीर तुम्हारी होगी...... बैठ गया हूं मैं उस सवाल के ताक में ज़िन्दगी क्यों उड़ रही है ज़ख्मों के भाप में ...  

कोई तेरी खातिर है जी रहा"""

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""जाए तू कहीं भी ये सोचना ***कोई तेरी खातिर है जी रहा""" एक इस वाक्य में इतना दम है कि इक डूबती कश्ती को किनारे लगा देता है एक टूटते इंसा को फिर सितारे दिखा देता है..  

आनंद की मत कर खोज

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खूबसूरती नज़र में खुशी सबर में मौन खबर में और ज़िन्दगी अधर में अनुभव है सुकुं संभव है हे मनुष्य आनंद की मत कर खोज उसे मत बना बोझ वो भीतर है बैठा तेरे राधे राधे जप ज़्यादा मत सोच..