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Showing posts from August, 2017

क्यों हर पल हमें अपने आप से लड़ना पड़ता है

क्यों हर पल हमें अपने आप से लड़ना पड़ता है जिसे मन ना स्वीकारे मजबूरन उसके साथ भी आगे बढ़ना पड़ता है समाज की दलीलों को खुद की किताब में घड़ना पड़ता है, मुस्कुराते हुए, संग खुद के झगड़ना पड़ता है................ स्‍वम् विवेक के धागों को उधड़ना पड़ता है मन के बलात्कार को स्वीकार कर बेबसी की अग्नि में जलना पड़ता है .....

गुज़रते वक़्त पर यदि हम ध्यान दें

गुज़रते वक़्त पर यदि हम ध्यान दें तो वे हमें याद दिलाता है, की कौन हमें क्या दे जाता है हम लेने की चाह रखें या ना रखें फ़र्क नही पड़ता क्योंकि वक़्त का हर तरज़ू हमें  कुछ ना कुछ सीखा कर ही जाता है 

मन की खुशी का ठिकाना नही

मन की खुशी का ठिकाना नही पिता से बड़ा आशियाना नही, चाहे मिल जाए जहाँ माँ की कमी कोई पूरी कर सकता नही , भाई , बहन का सत्कार करे इससे बड़ा प्यार का व्यवहार नही, मायके के आँगन में बेटी को दुलार मिले , बेटी के लए इससे बड़ा कोई उपहार नही

आँसुओं से आज मेरा ताना बाना था

आँसुओं से आज मेरा ताना बाना था खुशी हो या गम चेहरे पर इन्ही का ठिकाना था वक़्त बीता हो या आने वाला हो इन्हीं की मिठास में छुपा ख़ज़ाना था होंठों को छूँ लेने के पीछे भी मन के समुंदर को उफान से बचाने का इनके पास  बहाना था इन खट्टी मीठी बूँदों के वज़न का लगाने बैठी थी अंदाज़ा था इनको मापने के चक्कर जब गहरी उतरी तो पता चला गम हो या खुशी हर चेहरे पर इनका क्यों ताना बना था

ठोकर खाए संभला होता .........काश

ठोकर खाए संभला होता .........काश  जो गावा दिया वक़्त आज उसका गम ना होता .........काश जो चाहते थे मुझे मैने उनको पुकारा होता ..............काश  इस काश ने आज वक़्त की अहमियद बतलाई दस्तक तो वो हर पल देता रहा  पर मुझे ठोकर खा कर ही समझ आई 

आज जाने वो घड़ी खुशनसीब है

आज जाने वो घड़ी खुशनसीब है या उस घड़ी में हम आकड़ा लगाना मुश्किल है एक खुवाहिश रखी थी खुदा के आगे उसने झट पूरी कर दी मैने कटोरी माँगी थी उसने पूरी थाली मेरी करदी ............

दोस्तों का साथ हो अगर ज़िंदगी बहुत खूबसूरत बन जाती है

यूँ ही चलें दो दिन अपने साथ बिताने कुछ यारों की सुनने कुछ मन की उनको सुनने , खुश नसीब हैं जो आज के दौर में भी ऐसे दोस्त नसीब हैं वरना ज़िंदगी की असली महक के आनंद से हम वंचित रह जाते तारों की छाओं में बैठ कर भी चाँदनी का अहसास नही कर पाते तब केवल तस्वीरों में हम मुस्कुराते अब तस्वीरें भी हमारी मुस्कुराती हैं दोस्तों का साथ हो अगर ज़िंदगी बहुत खूबसूरत बन जाती है

जय गुरु देव

हर जगह तुम्हारा एहसास है खुवाब हो चाहे हक़ीक़त सब में तुम्हारा वास है , मैं तुम्हें महसूस कर आनंद उठता हूँ मेरे मौला मेरे सतगुरु मैं तुम्हारे स्मरण से भी उर्जा पाता हूँ , तुम्हारी तस्वीर को निहारूं तो हर्शुलास से भर जाता हूँ , तुम्हारे हर भक्त में मैं खुद को देख पाता हूँ, मेरे मौला मेरे सतगुरु में तुम्हे बहुत चाहता हूँ जय गुरु देव 

आज किताबें पढ़ कर ख़ाते है

नादान शब्दों में आसमान छूँ लेते थे चाँद किताबें क्या पढ़ीं मंज़िलें आसमान की उँचाइयाँ नापने लगी यूँ ही कुछ भी खा लेते थे तब पच जाता था सब आज किताबें पढ़ कर ख़ाते  है फिर भी बीमारियों से झूझ जाते हैं, मुस्कुराहट सच्ची थी आँसू भी सच्ची थे, नादान शब्दों में कहें तो जैसे थे वैसे ही दिखते थे, आज चाँद किताबें क्या पढ़ ली खुशी के पीछे गम छुपाए फिरते हैं और गम का इज़हार करना चाहें तो सच्चा यार ढूँढते फिरते हैं

दोस्त शब्द की घहराई क्या खूब निखर कर आई,

दोस्त शब्द की घहराई क्या खूब निखर कर आई, मैने वक़्त को पुकारा तब दोस्त आए जब मज़िलों ने मुझे स्वीकारा तब दोस्त मुस्कुराए जब खुदा को निहारा तब दोस्त नज़र आए जब हालात से बन बैठा बेचारा तब दोस्त ने नीवाले खिलाए दोस्ती की हदें अपनी आदत से मजबूर रहीं दोस्तों के साथ गम की आंधियाँ दूर रहीं सच्चे दोस्त ने हाथ क्या थामा ठहरी हुई किस्मत की लकीरें चल गई ज़िंदगी खूबसूरत ज़िंदगी में बदल गई.......

रक्षा बंधन की शुभ कामनाएँ

भाई बहन के मन में प्रेम की छवि हो भाई की कलाई पर राखी सजी हो, आदान - प्रदान हो संस्कारो का मिलन हो परिवारों का चोंखट पर बेटियों का हो इंतेज़ार ख़ुशियों संग मनें सब के त्योहार रक्षा बंधन की शुभ कामनाएँ

भारत पर अभिमान करो

भारत पर अभिमान करो उँचा उसका नाम करो, फक्र  से  सीना  तान  कर , कह सको भारतीए हो तुम ऐसा  कुछ  काम  करो , क्योंकि  खुश नसीब हो तुम, जो यहाँ हो जाने याद रखो तुम इसकी मिट्टी से हो बने ये वही भूमि है जो वीरो की कुर्बानी से सनी है इसका तुम सम्मान करो खुद से उँचा उसका नाम करो जय भारत