माँ Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps July 10, 2020 मैंने तुम्हारी आवाज़ में वो दर्द सुना है मां जिसे पूछने पर कुछ है ही नहीं कह तुमने बुना है मां अपने ही अनुभव से मैं आज भी उभरता हूँ मैं असूलो का पक्का शायद इसलिए आज भी एकेले रास्तों से गुजरता हूं ज़िन्दगी की खूबसूरती मेंहर पलये इशारा है।जो तुम्हारे लिए तय है हर ओर उसी का नज़ारा है Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps Comments
ग़लत फैमिय| June 12, 2017 ग़लत फैमियों का असर इतना गहरा पड़ा आज सूरज को भी देखती हूँ तो लगता है ये भी किसी स्वार्थ के कारण है खड़ा................... Read more
THINK POSITIVE June 14, 2020 इन्हें भी समझ आ गया है और हम हैं कि अभी भी समझ नहीं पा रहे हैं कमाल है उम्मीद के दिए जलाओ शांति के गीत गाओ धैर्य को अपनाओ मिलकर इस संकट को भगाओ Read more
Comments
Post a Comment