anubhav
हसरतों से मुलाकात पर
ये बात पता चली है।
उनसे मिलते ही हमने पकड़ी कोई और गली है
जो फूल खिलाया था वो फिर अब कली है
क्योंकि ख्वाहिशों के सफर में
नई उम्मीद पली है।
हमारी फितरत से ज़्यादा हसरतों की फितरत ही भली है
हमें तो बदल जाते हैं
हर पल वो फिर भी
संग हमारे चली है
तुमने कहा नहीं हम कह नहीं पाए
मोहब्बत में रिश्ते दोनों ने अपनी अपनी तरह निभाए
खामोशी अपनाई दूरियां निभाई
मोहब्बत पनपती रही बेइंतहा
दिल की बात जुबां से नहीं
आंखों आंखों में सुनाई
मोहब्बत निभाना भी एक हुनर है
ये इस अनुभव ने
हमको सिखाई
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