inspiring
निकल पड़ी हूं रास्तों पर
अब खुद को आजमाने की ख्वाहिश है
बतलाना है खुद को ही
कि मुझे में भी
कुछ कर दिखने की गुंजाइश है
मेरे हौसले को देख मंज़िल थिरकती है
तेरे मेरे बीच तूफानों से भरी एक कश्ती है
मिल जाएंगे जो तू जल कर आएगा
याद रखना साथ में जश्न मनाएंगे
जब तू कश्ती किनारे लगाएगा
ये समा धरती आसमान सब गवाह होंगे
कि वक़्त की कीमत जान कर आ गया तू
देखना रोशने जहां होंगे
ये कविताएं हैं मेरा परिचय कलम ने साधा है
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