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Showing posts from July, 2018

मन के धागे तोड़ मत

मन के धागे तोड़ मत अनकही बातों के लपेटे में आकर छोड़ मत जो कहना है कह दे जो पूछना है पूछ ले, यूँ खामोशी की चादर ओड मत , रिश्ते गवाना आसान है कमाना है मुश्किल तू डाँट ले मार ले पर रास्तों को मोड़ मत ...........

वो हमें छोड़ कर चल दिया

बेवफ़ाई की जैसे ही हमने हमारे दर्द से वो हमें छोड़ कर चल दिया नतीजा हम रास्तों पर फिर निकल पड़े हमारी हिम्मत ने हमे नया कल दिया ....

सुकून की चाह में सुख की रोटी ढूढ़ रहा था, जैसे ही वो मिली सुकून की परिभाषा बदल गई

सुकून की चाह में सुख की रोटी ढूढ़ रहा था, जैसे ही वो मिली सुकून की परिभाषा बदल गई

गुरु पूर्णिमा जय गुरु देव

गुरु पूर्णिमा पर हर उन विचारों , संस्कारों , वक़्त , इंद्रियों और साक्षात्कार गुरु सबके चर्नो को प्रणाम जिन्होने जाने अंजाने , शिक्षा या किसी भी बहाने हमे ज्ञान दिया जीना आसान किया गुरु पूर्णिमा जय गुरु देव

कोई अपना एक पल में हमारा दिल तोड़ कर चला जाता है और हम कहते हैं हमारा दिल बहुत बड़ा है

कोई अपना एक पल में हमारा दिल तोड़ कर चला जाता है और हम कहते हैं हमारा दिल बहुत बड़ा है

खोज रहा हूँ उसको जिसका कोई अस्तित्व नही ठुकरा रहा हूँ उसको जिस तत्व से ज़िंदगी है जनि

खोज रहा हूँ उसको जिसका कोई अस्तित्व नही ठुकरा रहा हूँ उसको जिस तत्व से ज़िंदगी है जनि

पैदा ये होता नही बाज़ार मे बिकती नही ,

इंसानियत का आकाल इस तरह बढ़ता जा रहा है , कि कोई विरला इसके साथ जीना चाहे भी तो वो एकेला पड़ता जा रहा है , पैदा ये होता नही बाज़ार मे बिकती नही , सस्ती हो गई है इज़्ज़त बहुत इसलिए ज़िंदगी की असली एह्मियद किसी को  दिखती नही 

हर पल हम जो चाहें वो पल नही

जो कल था वो आज नही जो आज है वो कल नही हर पल हम जो चाहें वो पल नही तो एक बार वो घड़ी छोड़ कर देखो जिसका कोई हाल नही , अब सोचो किस लिए रोना जब वक़्त के आगे चलता किसी का बल नही ..........

कदम भी क्या खूब सिखाते साथ हों तो ठहर जातें साथ देते तो मंज़िलों से मिलवाते

कदम भी क्या खूब सिखाते   साथ हों तो ठहर जातें   साथ देते   तो मंज़िलों से मिलवाते  

बस दो पल ही तो माँग रही थी दुख कम करने का सहारा तुझसे बाँध रही थी

बस दो पल ही तो माँग रही थी दुख कम करने का सहारा तुझसे बाँध रही थी पर तूने भी नज़र अंदाज़ करके हमे क्या खूब सिखाया है सच कहें तो अपंग बनने से बचाया है , शुक्र गुज़ार हूँ तेरी तेरे कारण मेरी शक्ति हुई मेरी ये तो मेरी परीक्षा थी तेरे सहारे रहती तो भिक्षा थी......

दर्द से पूछा हमने तू लोगो को तकलीफ़ देता है

दर्द से पूछा हमने तू लोगो को तकलीफ़ देता है ढूंढू तो मिलता नही आख़िर तू मिलता कहाँ है उसने कहाँ नादान तू खुद मुझे ही लए घूम रहा है और मुझे ही ढूँढ रहा है ...........

खामोशियाँ भी गवाही देती है ध्यान से सुन मुखबिर क्योकि मैने टूटती खामोशी से तबाही होते भी देखी है

खामोशियाँ भी गवाही देती है ध्यान से सुन मुखबिर क्योकि मैने टूटती खामोशी से तबाही होते भी देखी है 

अब तो मान जाओ सच्चाई से आँखें मत चुराओ

अब तो मान जाओ सच्चाई से आँखें मत चुराओ सावन भी अब मुरझा गया है क्योकि उसमे झूमते पक्षी मर रहे हैं .......... और मनुष्य वातावरण को नष्ट करने में आगे बढ़ रहे हैं..............

हमारे ख्वाबों ने अपने ओरे से हमको घेरा था................

हम महकाने निकले थे उन गलियों को जहाँ गम का बसेरा था चिराग लिए रोशिनी से मिलवाते थे फिर भी दिलों में अंधेरा था , नफ़रातों के बीज से वो उग चुके थे इसलिए हर तरफ मेरा तेरा था , हम फिर भी अपनी ज़िद का हाथ थाम निकल चले थे , क्योकि हमारे ख्वाबों ने अपने ओरे से हमको घेरा था................

ज़िंदगी के पहलुओं से वो कब तक वाकिफ़ करेगा मैं जितना तैर कर पार करता हूँ ये उतना समुंदर कब तक भरेगा ............

ज़िंदगी के पहलुओं से वो कब तक वाकिफ़ करेगा मैं जितना तैर कर पार करता हूँ ये उतना समुंदर कब तक भरेगा ............

खामोशी शहनाईयां बजा रही है जन्मो का साथ बँध रहा है.

कहीं आँखों का काजल लुभता रहा कोई होंठों की लाली चुराता रहा महफ़िल से जब वो निकलते थे महोब्बत खुद समा बनाता रहा, जान गया था वक़्त कि यहाँ खुदा वास कर रहा है खामोशी शहनाईयां बजा रही है जन्मो का साथ बँध रहा है.

खून का रिश्ता है वो भूल गया मैं केसे भूल जाउँ......

तन्हाइयों का भंवर आज घेर रहा है कोई अपना मुझे ढेर कर रहा है यकींन नही हो रहा खुद को उसको क्या यकींन दिलाउँ खून का रिश्ता है वो भूल गया मैं केसे भूल जाउँ......

तकलीफ़ों का भी क्या मस्त हिसाब है

तकलीफ़ों का भी क्या मस्त हिसाब है आती हैं रूलाती हैं तोड़ जाती हैं फिर छोड़ भी जाती हैं , और फिर यादों में ठहरा हुआ वक़्त बन कर तज़ुरबों की कहानियाँ सुनाती है ..................

या फिरसे जुदाई के पल............

थकने लगा हूँ अब इस भाग गम भाग की ज़िंदगी से अपनो की लड़ाई से अपनो की हमदर्दी से बेचैन सी रहती हैं साँसे भी अब हर पल वार मिलेगा या प्यार या फिरसे जुदाई के पल............