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Showing posts from December, 2017

मुस्कुराकर स्वीकारों दो हज़ार अठ्ठरा

मुस्कुराकर स्वीकारों दो हज़ार अठ्ठरा दोस्तों ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा .......... जो करना है उसे आज ही कर लो मंज़िलों को ज़रूर मिलेगा किनारा दोस्तों ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा ....... यक़ीन करो खुद पर दिल से करो अपने प्रभु का जयकारा दोस्तों ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा .... नव वर्ष 2018 की हार्दिक शुभ-कामनाएँ sonalinirmit.com

खुवहिशे रूह से लिप्टी थी

खुवहिशे रूह से लिप्टी थी आसमाँ को छूने की चाह में आत्मबल से लिपटे थे कदम ना रुके चाहे हो जो राह में, मंज़िलों से चैन की रहें मुझे खींच ती थी जब भी दो कदम रुकता था मेरी सांसो को भींचती थी , ये जुनून मुझे आज कहाँ ले आया है सपनें मे भी नही जो खुवाब देखा था वो सच कर दिखलाया है

पता ही नही चला कब आँसुओं से प्यार हो गया जो पोछते ते उनसे रिश्तों के बदले आँसुओं का व्यापार हो गया ..................

पता ही नही चला कब आँसुओं से प्यार हो गया जो पोछते ते उनसे रिश्तों के बदले आँसुओं का व्यापार हो गया ..................

उन रिश्तों की कसौटी से मैं रोज़ गिर कर उभरता हूँ

उन रिश्तों की कसौटी से मैं रोज़ गिर कर उभरता हूँ जिनको मैने प्रेम के धागे से सिया था जिनके साथ में दिल से जिया था ........ एक वो वक़्त था जब चेहरा मेरा था और चमक थी उनकी आज ना वो चेहरा है ना वो चमक , बस उनका एहसास है जो दिल के पास है , वरना उनके बिना तो लगता है वक़्त ही खराब है ..........

ना सुकून है दिल महरूम है,

ना सुकून है दिल महरूम है, बस तेरे दर पर जब भी आता हूँ दिल में उछलता एक जुनून है जो कहता है मुझसे तू चल खुद को मत छल.......... ज़िंदगी खूबसूरत है रहे ज़रूर मिलेंगी आज नही तो कल बस तू चल....................

मझधार मे सिमट के रह गए मेरे सवाल

मझधार मे सिमट के रह गए मेरे सवाल किस राह को पॅक्डू नही पता मुझे....... जाने क्यों मंज़िल नाराज़ है मुझसे कहती है मोड़ तू अब खुद चुन ले  चुनले ............

सुकून ही तो माँगा था तुझसे ए ज़िंदगी......... तूने तो बदले में मुझसे मेरी खुवाहिशे ही माँगा ली...........

सुकून ही तो माँगा था तुझसे ए ज़िंदगी......... तूने तो बदले में मुझसे मेरी खुवाहिशे ही माँगा ली...........

नाचे मेरे खुवाब झूमे कदम,

नाचे मेरे खुवाब झूमे कदम, चाहे हैं ज़ामी पर या नींद में हम , एक नशा है तुझमे एक अदा है जीने का संग तेरे अपना...... अलग ही मज़ा है, छल कपट की दुनिया से दूर हैं आँखों में हर पल एक नूर है जो जीने की कला का .......हर पल नया पहलू सिखाता है.............. आसमाँ को छूने की चाह को और भी बढ़ता है ............ रोज़ - रोज़ सीख रहा हूँ तुझसे ए ज़िंदगी जो तूने मेरे हाथ ना थामा होता तो आज में भी ज़माने की भीड़ में खो गया होता कहीं ........ sonalinirmit

ये बेटियाँ कब सुरक्षित होंगी ???

रोज़ रोज़ हैवनगी बढ़ती जा रही है दुनियाँ बस उन्हें अख़बारों में पढ़ती जा रही है , कब -कौन कहाँ- कैसे- कोई कदम उठाएगा जाने ये हैवानगी का सिलसिला कब रुक पाएगा , ये .......बेटियाँ कब सुरक्षित होंगी??? कब कोई इस मुद्दे पर ज़माने की ईंट से ईंट बज़ाएगा? ये बेटियाँ कब सुरक्षित होंगी ??? जाने  वो वक़्त कब आएगा................

इतनी सी बात थी काश पहले ही स्वीकार ली होती

इतनी सी बात थी काश पहले ही स्वीकार ली होती जो बीत गई अब तक आसानी से गुज़ार ली होती कि ........... रोटी अपनी भूक की नमक स्वाद अनुसार ही खाया जाता है रिश्ता विश्वास की बुनियाद पर ही निभाया जाता है, हम किसी से भी जुदा नही हो सकते जब तक मन ना चाहता है और जिस दिन मन जुदा हो गए उस दिन जीत कर भी इंसान हार जाता है ................

मैने एक बात आज जान ली है

मैने एक बात आज जान ली है इसलिए ज़िंदगी ने मुझे सबकुछ देने की ठान ली है कि नज़रिए की परख , मैने पहचान ली है कि अच्छाई ही ढूँढनी है वक़्त के हर पड़ाव में ज़िंदगी खूबसूरत ही दिखेगी मैने ये बात मान ली है

दूरियाँ इतनी बढ़ा दी तुमने

दूरियाँ इतनी बढ़ा दी तुमने कि आज तुम्हारे वापिस मिलने पर खुशी का वो एहसास नही जीना तुम्हारे बिना सिखादिया तुमने मुझे अब तुम्हारी कमी का वो आभास नही , बस गुज़ारिश है इतनी कि ना बिगड़े रिश्ते फिरसे नज़दीकियाँ ऐसी बनाए रखना जॅग हॅसायी ना हो हमारे रिश्तों की दिल मे प्रेम इतना बनाए रखना ............ किसी ने क्या खूब कहा है बात कितनी भी हो इतनी मत खीचों ....क़ी फसलें कम ना हो पाएँ जिन के बिना जीना ही नही तो उनसे बेरूख़ी के फासलें इतने क्यों भड़ाए.........

वो मिलेंगे तो

वो मिलेंगे तो चेहरे पर गम ना मिलेगा गर दिल में झाँक लिया उन्होनें तो गम कम ना मिलेगा ................
वो मिलेंगे तो चेहरे पर  गम  गर दिल में झाँक लिया उन्होनें तो  गम कम ना मिलेगा ................

ये वक़्त लौट कर ना आएगा

ये वक़्त लौट कर ना आएगा ये वक़्त लौट कर ना आएगा तू अपने आज को आज ही जी ले कल ये सोच कर केवल पछताएगा , ध्यान से सुन समुंदर की लेहर दिन की दोपेहर , ढलती हुई शाम और महकती सहर , एक ही बात दौहराते हैं हम लौट कर ज़रूर आतें हैं पर साथ नया वक़्त ही लातें हैं , जहाँ लहरों में हर पल नई उमंग दोपहर में  नई तरंग ढलती शाम फैला कर बाहें महसूस कर तुझे गले लगाएँ , इसलिए सपनो को तू सजाए जा कदमों को आगे बढ़ाए जा , ज़्यादा सोच मत ये वक़्त लौट कर ना आएगा , माँ के आँचल की महक को समेट ले जो मिला है उसको देख ले , अपनी ग़लतियों से हर पल सीख ले , जो छूट गया वो तेरा ना था सोच ले हर रोज़ सवेरा तुझे खुद जगाने आएगा , तू अपने आज को आज ही जी ले कल ये सोच कर केवल पछताएगा , वक़्त से कोई उम्मीद ना कर तू खुद से खुद को जीत ले तू , तेरे मुक़्क़दर को तुझसे कोई छीन नही सकता बस उसको हासिल करने के लिए.........अपने कर्म कर तू , ये वक़्त खुद तेरे आगे सिर झुकाएगा अपने आज को आज जी ले कल ये सोच कर तू केवल पछताएगा , खोबसूरती इस दुनिया की तेरा नज़रिया ही