अब लगता है
ये ही सत्य है
कि हम कलयुग की चकाचौंध में
खो कर इतना बदल गए
कि हमे शिक्षा देने के लिए
वक़्त को मजबूर
दुनिया ही बदलनी पड़ गई
आंखें बंद कर लेने से
सत्य कभी नहीं बदलता
यह इस महामारी से मिली शिक्षा है
हम जरूरत से ज़्यादा बदलाव लाने के चक्कर में
जरूरत की परिभाषा ही भूल गए
इसलिए आज इस ज़हर में घुल गए
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