anubhav

वो जब जैसे जो चाहता है 
सब वैसे ही हो जाता है 
बस फर्क इतना होता है 
अच्छा हो तो हम समझते है हमने किया
 और बुरा हो तो हम समझते है 
पता नहीं ये कैसे हुआ
                                                                                              
बेहतर से बेहतरीन करना 
हमारे हाथ में होता है 
जैसे कर्म हमारे वश में होते हैं 
और फल में
 परमात्मा का वास होता है
                                                                                     

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