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Showing posts from April, 2019

कुछ, थोड़ा और काश इन शब्दो के प्रयोग से रुक जाता है मन का विकास.............

कुछ, थोड़ा और काश इन शब्दो के प्रयोग से रुक जाता है मन का विकास.............

यूँ ही नही तेरे होंठों पर मैं हूँ इश्क है ये तू कहती नही मैं कहता हूँ....................

यूँ ही नही तेरे होंठों पर मैं हूँ इश्क है ये तू कहती नही मैं कहता हूँ....................

मन की स्थिति आज समझना मुश्किल है जाने किस बात की दिल में इतनी हलचल है....... साँसों के इत्र में कोई नमी के एहसास है चहरे पर मुस्कुराहट ज़रूर है पर दिल बहुत उदास है...........

मन की स्थिति आज समझना मुश्किल है जाने किस बात की दिल में इतनी हलचल है....... साँसों के इत्र में कोई नमी के एहसास है चहरे पर मुस्कुराहट ज़रूर है पर दिल बहुत उदास है...........

दुख जब तक बड़ा होता है जब तक सहने वाला उसमें पड़ा होता है... शायद इसलिए ही आज तक दर्द की कोई परिभाषा नही बनी हाँ दूसरे की सुन अपनी कम ज़रूर लगी..............

दुख जब तक बड़ा होता है जब तक सहने वाला उसमें पड़ा होता है... शायद इसलिए ही आज तक दर्द की कोई परिभाषा नही बनी हाँ दूसरे की सुन अपनी कम ज़रूर लगी..............

गुज़रता हूँ अक्सर शमशान से हो कर उछलते ख्यलातो के पैर थम जाते हैं डगमगाते कदम धरती पर टिक जाते हैं....

गुज़रता हूँ अक्सर शमशान से हो कर उछलते ख्यलातो के पैर थम जाते हैं डगमगाते कदम धरती पर टिक जाते हैं.... 

थक कर ज़िंदगी से जब घर लौटी वही साथी इंतेज़ार कर रहा था सवेरे,

बहुत छोटी सी बात ज़िंदगी ने हमे बहुत कुछ दिया मैने वही देखा जो नही मिला उसके पीछे ही भागती रही जो मेरे लिया बना ही नही, जो साथ था मेरे उसे दिखाए मैने अंधेरे थक कर ज़िंदगी से जब घर लौटी वही साथी इंतेज़ार कर रहा था सवेरे, मेरे पास उसे कहने को ना थे शब्द उसने दो पंखतियों समझाया ज़िंदगी का अर्थ, कि अच्छे दिन आएँगे जिस दिन से जो है हम उसमे खुश रहना सीख जाएँगे..........

बेरूख़ी सी लगती ज़िंदगी का हमने ज़रा सा रुख़ क्या बदला आसमाँ की उचाईं खुवाबों में मिलने आ गई धरती की गहराई अपनी नमी से हमको सैला गई, फ़र्क सिर्फ़ सोच का ही निकला परिस्थितियाँ वही रही एक ने गिराया तो एक ने उठाया.............

बेरूख़ी सी लगती ज़िंदगी का हमने ज़रा सा रुख़ क्या बदला आसमाँ की उचाईं खुवाबों में मिलने आ गई धरती की गहराई अपनी नमी से हमको सैला गई, फ़र्क सिर्फ़ सोच का ही निकला परिस्थितियाँ वही रही एक ने गिराया तो एक ने उठाया.............

जो माँ हमे मनाने को तरसती है वो घर में रहती है जिस माँ को हम मनाने को तरसते हैं वो मूर्ति में बस्ती है, अर्थात साक्षात्कार में विश्वास करो जय माता की

जो माँ हमे मनाने को तरसती है वो घर में रहती है जिस माँ को हम मनाने को तरसते हैं वो मूर्ति में बस्ती है, अर्थात साक्षात्कार में विश्वास करो जय माता की 

नही मिलता मैं उस हकीम से

ज़िंदगी से हार कर भी मैं लड़ता हूँ है साँस जब तक मैं आस करता हूँ काँटे हैं हर कदम मैं अपने विश्वास संग पाँव रखता हूँ जिस नाव में छेक है मैं उस नाव को भी साथ रखता हूँ............ महोब्बत है मुझे अपने यकीन से इसलिए नही मिलता मैं उस हकीम से जो मेरे ज़ख़्मों पर मल्हम लगता है........ आज का सफ़र कल पार करना मुझे सिखाता है.......... शायद इसलिए ही मैं हर मुश्किल से लड़ पता हूँ दिल और दिमाग़ दोनो संग बराबर रिश्ता निभाता हूँ...............

रचने वाले ने सोच समझ के सौंपा है......

सफ़र ज़िंदगी का हर पल अनोखा है कभी उज्ज्वल है सवेरा तो कभी चाहत का झरोखा है, कभी शाखा है उम्मीद की कभी लालच का धोका है कभी नींद है आनंद की तो कभी सुधार का मौका है..... आज शांति है घर में तो कल मजधार में नौका है जो भी है जैसा भी है रचने वाले ने सोच समझ के सौंपा है......

सभी देवियों का मन में ध्यान करें और नारी जाती का सम्मान करें .... घर में साक्षात विराजमान माँ को प्रणाम करें नारी के हर स्वरूप का हम रखेंगे मान....ये प्रण करें ........ नवरत्रों की हार्दिक शुभ कामनाएँ

सभी देवियों का मन में ध्यान करें और नारी जाती का सम्मान करें .... घर में साक्षात विराजमान माँ को प्रणाम करें नारी के हर स्वरूप का हम रखेंगे मान....ये प्रण करें ........ नवरत्रों की हार्दिक शुभ कामनाएँ 

हक़ समझते थे अपनो पर तो हम शिकवे कर बैठे............ वो बैठे थे मौके की ताक में और डोर निकल गए................

हक़ समझते थे अपनो पर तो हम शिकवे कर बैठे............ वो बैठे थे मौके की ताक में और दूर निकल गए................

रोज़ आस- पास से गुज़रते अफ़सानो को मैं पन्नो पर क़ैद कर लेता हूँ ये शोंक नही है मेरा बस ज़िंदगी से सीखने का मेरा एक अलग अंदाज़ है................

रोज़  आस- पास से गुज़रते अफ़सानो को मैं पन्नो पर क़ैद कर लेता हूँ ये शोंक नही है मेरा बस ज़िंदगी से सीखने का मेरा एक अलग अंदाज़ है................

खुवाहिशे सलाह मशौराह करके नही पैदा होती........... पर दम इतना होता है कि चाहो तो पूरी ज़रूर होती...... SONALINIRMIT

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