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Showing posts from May, 2021

हम ज़रा ज़्यादा हंसते रहने का हुनर क्या जान गए.. लोग समझ ने लगे कि हमें कोई गम ही नहीं..

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हम ज़रा ज़्यादा हंसते रहने का  हुनर क्या जान गए..  लोग समझ ने लगे  कि हमें कोई गम ही नहीं..  

बिन तुम्हारे

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हम आज भी उन्हीं पलों में जीते हैं जिनमें हम सिर्फ तुम्हारी बातों को सीतें हैं मेरे सनम तुम हमारे हर लम्हें में हो.. हम कैसे यकीं दिलाएं बिन तुम्हारे अब तक जिंदगी के पल कैसे बीते हैं..  

दिल से..

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बेपनाह है मोहब्बत मुझे तुम से.. बस तुम आखों में ढूंढ ती रही मैं कर रहा था दिल से..    

"बातों में आ गया था जमाने की।

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ख्वाहिशों को फिरसे जिंदा कर लिया मैंने जीने के सबक को फिरसे सीख लिया मैने गुमराह हो गया था मैं "बातों में आ गया था जमाने की। भीड में खो गया था सबको हंसाने मनाने की  

किसकी खता है

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वक्त कब और कैसे बाजी पलट जाए  किसको पता है  और हम सोच ते रह जाते हैं  जाने किसकी खता है  

मुस्कुरा लेता हूं जिंदगी को गले लगा लेता हूं

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ये सोच कर मैंने  एक बार फिर मुस्कुराहट को गले लगा लिया कि जो कल था वो आज है नहीं... जो आज हुआ वो सत्य है पर हम हैं कहीं ...  जो कल होगा उसकी कल्पना है  पर उस पर बस नही...  फिर किस लिए इतना सोच रहा हूं  क्यों जिंदगी को दबोच रहा हूं ?  मुस्कुरा लेता हूं  जिंदगी को गले लगा लेता हूं  

कोई बात नही एकसर ऐसा होता है - ये जिंदगी है साहब... ख्वाब हर कोई बोता है...

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कोई बात नही एकसर ऐसा होता है - ये जिंदगी है साहब... ख्वाब हर कोई बोता है...  

आने वाले युग पर

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कितना भरोसा था हमें वृक्त पर  खुद पर  एक वायरस ने बतला दिया  वक्त आ गया है  अब सोचने का  कैसे बदलाव लाना है  आने वाले युग पर  

हम सोचते थे वक्त पर काबू कर बैठे हैं वक्त ने समझा दीया जैसे वो चाहे हम वैसे ही रहते हैं

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हम सोचते थे वक्त पर काबू कर बैठे हैं वक्त ने समझा दीया जैसे वो चाहे हम वैसे ही रहते हैं  

जो काश है वो ही आकाश था.. वो ही रूठ गया जो मेरा प्रकाश था..

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जो काश है वो ही आकाश था.. वो ही रूठ गया जो मेरा प्रकाश था..  

बस अब थमने ही वाली ये कोरोनो की हवा है

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मौसम कह रहा है मुस्कुरालो यारों वक्त जैसा भी निभालो यारों क्योंकि अब वक्त ही वक्त की दवा है बस अब थमने ही वाली ये कोरोनो की हवा है  

प्यार का बंधक है

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सावन की हवा में आज भी वही ठंडक है  जैसे मन आज भी उसके प्यार का बंधक है  

ख्वाहिशों के बिसार हैं हम

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लगता है वाक्य ख्वाहिशों के बिसार हैं हम या पता नही . कहां और किधर हैं हम  

सुकूं की तलाश में

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सुकूं की तलाश में सुकू को हम खो बैठे सुकूं हमारे साथ था और हम सुकून की खातिर रो बैठे..  

Be Positive

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अब समझ में आने लगा है कि हम जो चाहे करले.. जो चाहें सोच ले.. होगा वही जिसमे उसकी मर्जी है.. पर एक बात पक्की है जो मंजिल की चाहत में ज़मी आसमां एक कर दे.. वो उसकी अवश्य सुनता अर्जी है...  

तू ही फैसला कर किस में जग की भलाई है

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वक्त से सांसों की लड़ाई है ऐ वक्त छोड़ दिया अब तुझपर तू ही फैसला कर किस में जग की भलाई है  

तजुर्बे जिंदगी के क्या क्या कह जाते हैं बिन आवाज़ भी उथल पुथल मचा जातें हैं

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तजुर्बे जिंदगी के क्या क्या कह जाते हैं बिन आवाज़ भी उथल पुथल मचा जातें हैं  

एक वायरस ने दुर्बल

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इधर से उधर भागंभाग में खुद को टोपी पहनना छोड़ दो अब तो अपना समझो यारों वक्त को आज़माना छोड़ दो ये दुनिया अदभुद है मान गए ना फिर भी एक वायरस ने दुर्बल बना दीया जान गए ना  

अनुभव

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वक्त से वक्त को चुरा रहे थे और हम सोच ते थे हम कमा रहे थे... अनुभव  

सभी काफिले गुजर गए..

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जिंदगी के सफर में सभी काफिले गुजर गए.. बस मोहब्बत ज़िंदा रह गई बाकी सब बिखर गए..  

खाली हो गई

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शहर सूने हो गए दोपहर काली हो गई.. ये तेरे मेरे बच्चन की किताब जाने कैसे खाली हो गई।  

HAPPY MOTHERS DAY

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मां ने मुझे चलना सिखाया है तो कैसे थम जाऊं मैं हर हाल में मुस्कुराना सिखाया है झूम कर फिज़ा में रम जाऊं मैं  

happy mothers day

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ये प्यार की अनमोल दौलत सिर्फ मेरी मां की बदौलत  

ये बादल काले घने हमने ही हैं चुने कर्मों के लिखे से हमारे हैं बने

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ये बादल काले घने हमने ही हैं चुने कर्मों के लिखे से हमारे हैं बने  

कैसा वक्त आ गया है...

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कैसा वक्त आ गया है.. जिन सांसों के लिए हम लड़ रहे हैं.. उस ही को लेने से डर भी रहे हैं..  

हे प्रभु दया करो तेरी सृष्टि में हाहाकार मची है

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हे प्रभु दया करो  तेरी सृष्टि में हाहाकार मची है  बिन मौत लोग मर रहे हैं..  ये कैसी और किस गुनाह की तूने सज़ा रची है..  

माफ कर दे प्रभु

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हर ओर दुख का पहाड़ है ये वक्त की कैसी मार है आसूंओं की नदिया बह रही है माफ कर दे प्रभु सारी सृष्टि ढह रही है  

ना हंस पा रहे हैं ना रो पा रहे हैं

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  ना हंस पा रहे हैं ना रो पा रहे हैं धैर्य से दूर होते जा रहे हैं खौफ में है जिंदगी का पल पल हर पल बस इस सोच में खोते जा रहे हैंं

ज़िंदगी जी लो यारो

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  नाराजगी में ना निकाल  तिल भर वक्त भी  क्या पता उसका साथ  कल हो... या हो ही नहीं

कर्म की रेखा को किसी ने ना देखा फिर भी कहते हैं.. कर्मों का ही है सारा लेखा..

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  कर्म की रेखा को किसी ने ना देखा फिर भी कहते हैं.. कर्मों का ही है सारा लेखा..