अनमोल लम्हें dosti
वो वक़्त भी क्या खूब था.
जब साथ मेरे वक़्त भी मशरूफ था
समा बांधा रहता था
हम दोनों के बीच हमें झूमता देख
टकराया जब एक मेहबूब था
हम तब तक हरे थे
जब तक दोस्तों से भरे थे
अनमोल हैं वो दोस्त
जो चाहे कुछ भी हो
हर हाल में हमारे लिए खड़े थे
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