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Showing posts from August, 2016

सोचते हैं की हम इतना क्यूँ सोचते हैं

सोचते हैं की हम इतना क्यूँ सोचते हैं हाथों में गड़ी लकीरों को क्यूँ ख़रोचते हैं, जो रिश्ते विरासत में मिलें हैं खुद उन्हे निभा नही पाते फिर क्यूँ उम्मीद ज़माने से वफ़ा की चाहते, कुसूर गर हमारा नहीं तो समझो उनका भी नहीं, कभी हम तो कभी वो सही.........

बेख़बर थे हम इस खबर से

बेख़बर थे हम इस खबर से कि तुमने ये खबर फैलाई कि हो गई हमारी जुदाई, खुद ही आकर कह गए होते तो शायद हम से गए होते , तन्हाई तो फिर भी करीब होती पर शायद तुमसे आख़िरी मुलाकात नसीब होती.........

मुक्कदर से पूछ बैठते हैं हम

मुक्कदर से पूछ बैठते हैं हम कि तू हमे इतने तज़ुर्बे क्यों देता है कभी धूप में जलने छोड़ देता है कभी खुद ही हमारे कदमों को ग़लत रास्तों से मोड़ देता है तेरा शुक्रिया केरू या तुझे सलाम समझ नही पाता, बस जब भी मुड़ कर देखता हूँ मेरा सिर तेरे सजदे में झुक जाता..........

जय हिंद

कोटी कोटी उन देश भक्तो को नमन जिनकी बदौलत देश में खिले चमन हर ओर छाए उजियारा रहे शांति ओर अमन जय हिंद

सागर का उछलता पानी

सागर का उछलता पानी तेरी याद दिलाता है, ये बदलता मौसम तेरी खुशबू महकती है ये गिरते हुए पत्ते हर पल तेरा नाम जप्ते आसमाँ का सिंदोरी रंग बिखेरदेता वो पल जो बीते तेरे संग समुन्द्र की लहरें भी कानो में कुछ कह जाती है सावन के झूलों पर मुझे फिरसे झूला जाती है, जब जब ये रेत मेरे पास सीप छोड़ समुंदर में समा जाती है लगता है की तू मुझे छूँ जाती है बिन तेरे जाने ये साँसे केसे चल रही हैं हर पल मुझसे चल रहीं हैं, मुझे बहलाने की कोशिश में लगीं हैं पर शायद साँसों को भी नही पता वो भी तेरी यादों में सनी हैं...

एक था समुंदर

एक परिंदा एक था इंसान जो था ज़िंदा जैसे ही खुद से पियार हुआ बाकियो से व्यापार हुआ..............

एक था समुंदर

एक परिंदा एक था इंसान जो था ज़िंदा जैसे ही खुद से पियार हुआ बाकियो से व्यापार हुआ..............