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Showing posts from November, 2018

ज़िदगी में किए करमो का ही अर्थ है जो आज की गुज़ारिश है वो कल व्यर्थ है.................

ज़िदगी में किए करमो का ही अर्थ है जो आज की गुज़ारिश है वो कल व्यर्थ है.................

यकीं रख खुदा पर/ या खुद पर बात एक ही है वक़्त भी बीत जाएगा तू हिम्मत बाँध , सब्र रख तू अवश्य जीत जाएगा

यकीं रख खुदा पर/ या खुद पर बात एक ही है वक़्त भी बीत जाएगा तू हिम्मत बाँध , सब्र रख तू अवश्य जीत जाएगा 

ज़िंदगी को जैसे देखोगे वो वैसे ही दिख जाएगी ..............

ज़िंदगी को जैसे देखोगे वो वैसे ही दिख जाएगी, तुम किसी को सताओगे तो क्या सोचते हो तुम्हे बक्श जाएगी , लगी आग- आज उधर तो कल इधर भी आ जाएगी, ये मौसम की तरह रुख़ बदलती है तुम किसी पर गिराओगे तुम पर भी एक दिन गिर जाएगी ज़िंदगी को जैसे देखोगे वो वैसे ही दिख जाएगी ..............

कभी हज़ारो हाथ- हाथ में होते हैं तो कभी सितारो की रोशिनी के हम साथ होते हैं

मस्त रहते है हम ये नही पता कहाँ, कभी महफ़िलों में अपनो के साथ तो कभी अकेले बसा कर खुवाबों का जहाँ, मन की गति आसमाँ पार कर जाती है जो सोच भी नही पाते वो नज़ारे देख लौट आती है, कभी हज़ारो हाथ- हाथ में होते हैं तो कभी सितारो की रोशिनी के हम साथ होते हैं वक़्त की रफ़्तार नज़र आती है ये मस्ती की चादर ओढ़ सुनेहरी नींद भी आनंद को छूँ जाती है.........

मैं मंज़िल पर आँख टिका घर से गुमराह बन निकलता हूँ ............

अब रास्तों पर निकल कर मैं मंज़िल की तलाश करता हूँ.... क्योंकि मंज़िलो की खबर लगते ही मैं अपनो के बिछाए जाल में चलता हूँ ...... दुख मुश्किलों का सामना करने से नही अपनो को सामने देखने से मिलता है....... इसलिए अब मैं मंज़िल पर आँख टिका घर से गुमराह बन निकलता हूँ ............

सितारों की दुनिया में उतरे हैं हम फिर भी बेजान कंकरो से करते है जंग............. हरयाली की ओड चादर गागर में है सागर......... फिर भी खुद से हम जुदा हैं जाने इससे बेहतर और जाना कहाँ है............

सितारों की दुनिया में उतरे हैं हम फिर भी बेजान कंकरो से करते है जंग............. हरयाली की ओड चादर गागर में है सागर......... फिर भी खुद से हम जुदा हैं जाने इससे बेहतर और जाना कहाँ है............

कहीं ना कहीं तो तू है जब तक कदमों तले ज़मीं है तेरा अक्स मुझमे है और मुझे खुद पर यकीं है

कहीं ना कहीं तो तू है जब तक कदमों तले ज़मीं है तेरा अक्स मुझमे है और मुझे खुद पर यकीं है

ना जाने क्यों संतोष नही मिल पा रहा था जबकि मैं अपने सिवा दिल सबका जीत पा रहा था........ वजह देर से सही पर अब समझ आई....... कि जिनको मैं अपने दिल में बिठा रहा था मैं खुद भी उनके दिल में बैठना चाह रहा था..................

ना जाने क्यों संतोष नही मिल पा रहा था जबकि मैं अपने सिवा दिल सबका जीत पा रहा था........ वजह देर से सही पर अब समझ आई....... कि जिनको मैं अपने दिल में बिठा रहा था मैं खुद भी उनके दिल में बैठना चाह रहा था..................

सवालों के दरमियाँ उनसे रिश्ते बन गए, वो जवाब देने के हुनर में क्या खूब निकले कि....हमे पता ही नही चला कब उनके हो गए.........

सवालों के दरमियाँ उनसे रिश्ते बन गए, वो जवाब देने के हुनर में क्या खूब निकले कि....हमे पता ही नही चला कब उनके हो गए.........

कारवाँ नही चल रहा बस वक़्त चल रहा है हम बैठे हैं जिसकी आस मैं वो हमे ही छल रहा है

कारवाँ नही चल रहा बस वक़्त चल रहा है हम बैठे हैं जिसकी आस मैं वो हमे ही छल रहा है 

दिल से मुस्कुराह जीले हर ज़रराह

बाज़ार सज़ा है पर एक बार दिल से सोच आख़िर किसमे रज़ा है, सुकून के पल या बनावटी छल, क्या खरीदने निकले जो पास नही जिसकी ज़रूरत है वो तो बिकता भी नही......... करले विचार हर रोज़ है त्योहार, दिल से मुस्कुराह जीले हर ज़रराह, दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ आओ प्रेम के दीप जलाएँ 

आओ कुछ यादें ढूँढे पुरानी वो माँ के सुनहरे रंग की सारी वो दादी की मुस्कुराहट नूरानी,

आओ कुछ यादें ढूँढे पुरानी वो माँ के सुनहरे रंग की सारी वो दादी की मुस्कुराहट नूरानी, वो पापा का लाड़ वो दादाजी की किससे उन्ही की ज़ुबानी, वो थाल भर खाई मिठाई वो प्रेम से भरी दीपावली सबके साथ मनाई........ आओ फिरसे प्रेम संग से दीपावली मानते हैं थोड़ा अपनो के साथ थोड़ा अपने साथ काम करने वालों के साथ मिलकर एकता के दीप जलते हैं......... धनतेरा एवम् दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ सोनालिनिर्मित

अजनबी से हालात हैं हम टूट भी रहे हैं वो हमारे पास है पर छूट भी रहे हैं.............

अजनबी से हालात हैं हम टूट भी रहे हैं वो हमारे पास है पर छूट भी रहे हैं.............