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Showing posts from July, 2017

याद नही वो दिन कब माँ को गले लगा कर कहा

याद नही वो दिन कब माँ को गले लगा कर कहा माँ तू ही है मेरा जहाँ , माँ आज भी यही कहती है तेरी खुशी में है मेरी रज़ा तुझमे बस्ता है मेरा जहाँ ...............

choti si baat

तीज की शुभ कामनाएँ

हारियाला सावन हरियाली तीज दिलों में बोएँ खुशियों के बीज खिले चेहरों पर लाली झूमें गोरी के कनों में बाली व्यंजनों से सजे थाली मोर नाचे ऐसे जिसे देख सावन भी बजाए ताली, हर्ष उल्लास हो सोलह शृंगार से सज़ा हर ग्रहणी का ताज हो , शिव की आराधना हो पार्वती की उपासना हो, बड़ों का आशीर्वाद हो दिलों में प्रेम भाव हो तीज की शुभ कामनाएँ 

एक पैगाम देश वासियों के नाम

एक पैगाम देश वासियों के नाम जब हम तिरंगा ओढ़ गहरी नींद सो जाते है हज़ारों दिए जलाए जाते है जीते जी सैनिक से मिलें ना मिलें पर देशवासी हमारी तस्वीरों से मिलने ज़रूर आते है एक पैगाम भेज रहें है आज भरे जसबातों से के साथ कि हे भारत के निवासी बदले में हज़ारों दियों के...... बस चाहते हैं हम एक साथी जो हम में वो दम भर दे कि जब शहीद हो जाएँ हम ,सीमा की रक्षा करते हुए तो वो एलाने जंग कर दे जय हिंद

खुशी की तलाश में घूमा गली गली

खुशी की तलाश में घूमा गली गली एक दिन थक कर बैठ गया सवाल के जवाब में ऐंठ गया, खुशी मुझे देख हस्ती रही बोली जिस सवाल में आज तक तेरी ज़िंदगी बस्ती रही उससे मन को हटा लें जो है उमे खुद को रामा लें, इच्छा कर पर भटक मत जो मिल जाए वो राह पकड़ अटक मत, मैं तो तेरे ही भीतर रहती हूँ बस तू देख नही पाता जिनमें मुझे ढूंढता है उनसे वास्तव में तेरा नही है कोई नाता सोनाली सिंघल

ज़िंदगी जी रहे हैं

ज़िंदगी जी रहे हैं   फिर भी जीने की खुवाहिश करते हैं   समझ नही आता   लोग किस उलझन में रहते हैं  

ज़िंदगी से लड़ गए कई बार खुशियों से बिछड़ गए,

ज़िंदगी से लड़ गए कई बार खुशियों से बिछड़ गए, टूट कर भी उभर गए, हर परिस्थिति से गुज़र गए उसके नाम का सहारा था जिसने कॅम्ज़ोर लम्हें में हमे पुकारा था, पर आज इस पल लगता है इंसान अपने आप से तो लड़ सकता पर अपनों से नहीं अपने आँसू देख सकता पर अपनों के नही......................

ओम नमः शिवाय

आँखों में आँसू नही मगर दिल में उदासी है नज़ाने खुशी किस घड़ी की पियासी है , हर वक़्त सोच.... अजीब- अजीब से ख्यालों से मुलाकात करवाती है जो सच नही उस पर यकीन करवाती  है फिर अपनो को खोने का डर सताता है शुक्र है भगवान के उस नाम का .....जो विश्‍वास को भेज हिम्मत बाँध जाता है ओम नमः शिवाय

एक ज़माना था जब

एक ज़माना था जब चाँद पैसों से बाज़ार में समान बिकता था आज चाँद पैसों में केवल इंसानियत बिकती है समान नहीं 

झूमें ये जीया घर आ रहें है पिया,

झूमें ये जीया घर आ रहें है पिया, जीवन के सारे रंग खिल जाएँगे , बाते ये मन की जाने ये पक्षी महकाए आँगन नाचे सब सखी, उनके लए मैने हर लम्हा सिया आज मेरे पिया मुझे मिल जाएँगे, बोले ये सुई आरज़ू पूरी हुई आँगन में चरण कमल आएँगे , होगी फूलों की वर्षा गूँजे हर दिशा उनके आने से पहले महके है फ़िज़ा, झूमें ये जिया घर आ रहे पिया जीवन के सारे रंग खिल जाएँगे

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हर उस शक्स को प्रणाम जीने किसी भी रूप में दिया हो हमे शिक्षा का ज्ञान , क्योंकि सीखने या सीखने की उम्र कभी छोटी या बड़ी नही होती, यदि बड़ी हों सीखने की चाह तो रहें कभी छोटी नही होती, गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मेरे गुरु को प्रणाम और सबको प्यार भरा  सलाम...............

हर दिन में कई दिन जी लूँ हर लम्हें को सी लूँ ,

हर दिन में कई दिन जी लूँ हर लम्हें को सी लूँ , होश में ना औउँ कभी तुम्हारी एक झलक से इतने जाम पी लूँ, समा बँधा रहें हम तुम झूमते रहें, वक़्त भी कुछ पल के लिए नज़रे चुरा लें तू मुझे पियार में इस तरह बहा लें,  इसी दो पल की ज़िंदगी में सुकून का एहसास है जो भी चाहा मैने वो इस पल मेरे पास है 

हम जिन गलियों में पलें हैं

हम जिन गलियों में पलें हैं वो कहते हैं वहाँ ख़ुदग़र्ज़ लोग रहते है , एक लड़की \ एक औरत कितना भी लंबा सफ़र करले तय उस पर कभी भी उंगली उठाई जा सकती है इस बात का सदैव बना रहता है भय ..........

व्याकुल मन मुरझाया सा तन

व्याकुल मन मुरझाया सा तन सुना रहा है दास्तान किस भीड़ में खो रहा है इंसान , वक़्त नही रहा एक दूजे के लिए अपनों का साथ छोड़ कमा रहें है जाने किस के लिए , इंसान खुद को महत्वाकांक्षाओं की आग में सेक रहा है अपनो को तड़पता हुआ देख रहा है, माँ बाबा वक़्त से पहले बूड़े बना दिए एहसास जाने किस - समुंदर में बहा दिए, सोने में लिपटा है आज पर सो नही पाता पैसे की चकाचौंध से घिरा है पर मन में रहता सन्नाटा, घर लौटने का वक़्त नही इसलिए अब मकान में रहता है साथ चलने का वक़्त नही इसलिए आज इंसान एकेला रहता है...................

ज़िंदगी की खूबसूरती पर तभ तक धूल जमी थी

ज़िंदगी की खूबसूरती पर तभ तक धूल जमी थी जब तक उसको देखने के नज़रिए में हमारे कमी थी ............