मोहब्बत
उस कमरे की खामोशी ने कह दिया कि मोहब्बत है..
उस चुनरी की सलवटें बयां करती की दिल में हलचल है...
आहें कह रही हैं कि कोई मन्नत है...
बिन पिए शर्बत ये कैसी ठंडक है...
अजीब सी छटपटाहट थी फिर होंठ रही थी वो सी..
लगा कि लब्ज़ कुछ कहेंगे वो कुछ और पल साथ रहेंगे....
पर चले गए..
एक कोरा काग़ज़ छोड़ कर
हम ने भाग कर देखा
तो वो इंतज़ार कर रहे थे मोड़ पर......
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