anubhav
मैंने ज़िन्दगी के साथ मन से सौदा कर लिया
अब फेंके ले जितने मर्जी पत्थर
मैंने मन में मिट्टी का पौधा भर लिया
घुल जाएंगे सब
और हमने
उनसे भी खिलने का भी
फैसला कर लिया...
जिसको जो जब मन में आए कह देता है ...
मैं दर्द दिखता नही हूँ..
इसका ये मतलब नहीं.... कि मुझे दर्द नही होता...
या मैं इंसान नहीं हूँ
एक बार समझा दो भाई
मैं भगवान नहीं हूँ..
शुक्रिया
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