हम खुश नहीं खुशनसीब हैं



आंखों में उसकी उबासी थी..
जिसमे छिपाई उसने अपनी उदासी थी..
हम पड़ पा रहे थे..
पर कुछ कर नहीं पा रहे थे..
बस उसका हाथ थाम लिया
उसके साथ हूं ये विश्वास बांध दीया....



सिकंदर के जीवन से मिली सीख ने
एक बार फिर जीने की चाहत को
जागरूक कर दिया..
कि जीतना ही है तो किसी का दिल जीत कर जाना... क्योंकि
सारा संसार जीत कर भी
सिकंदर खाली हाथ ही गया था...



हम खुश नहीं
खुशनसीब हैं
क्योंकि हम तुम्हारे सिर्फ़ तुम्हारे करीब हैं
वकत चाहे जो करले
हम एक दूसरे का नसीब है...



 

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