महोब्बत


आंखों में तेरी उदासी दिखी
जिसे पढ़ रूह तेरी प्यासी दिखी
मेरे पास आ
तुझे लगालू गले
मान मेरी जान ...
मेरे सपने सजे...
आज भी तेरी छाओं तले...




नहीं तैयार कर पा पर रहे हैं खुद को
तुम्हारे बिना जीना मुश्किल है
कैसे समझाएं तुझ को ...
अच्छा सुनो तो सही..
रास्ते तुम्हारे होंगे..
मंज़िल भी तुम्हारी होगी..
एक बार- बस एक बार
हमसफ़र की नज़र से देखो तो मुझे
फिर तुम जहां तक देखोगी ...
वहां तक हमारी नज़र में बसी
हर तस्वीर तुम्हारी होगी......





बैठ गया हूं मैं
उस सवाल के ताक में
ज़िन्दगी क्यों उड़ रही है
ज़ख्मों के भाप में ...


 

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