दुख जब तक बड़ा होता है जब तक सहने वाला उसमें पड़ा होता है... शायद इसलिए ही आज तक दर्द की कोई परिभाषा नही बनी हाँ दूसरे की सुन अपनी कम ज़रूर लगी..............
दुख जब तक बड़ा होता है
जब तक सहने वाला उसमें पड़ा होता है...
शायद इसलिए ही
आज तक दर्द की कोई परिभाषा नही बनी
हाँ दूसरे की सुन
अपनी कम ज़रूर लगी..............
जब तक सहने वाला उसमें पड़ा होता है...
शायद इसलिए ही
आज तक दर्द की कोई परिभाषा नही बनी
हाँ दूसरे की सुन
अपनी कम ज़रूर लगी..............
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