रचने वाले ने सोच समझ के सौंपा है......

सफ़र ज़िंदगी का हर पल अनोखा है
कभी उज्ज्वल है सवेरा
तो कभी चाहत का झरोखा है,

कभी शाखा है उम्मीद की
कभी लालच का धोका है

कभी नींद है आनंद की
तो कभी सुधार का मौका है.....
आज शांति है घर में
तो कल मजधार में नौका है
जो भी है
जैसा भी है
रचने वाले ने
सोच समझ के सौंपा है......

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