आखिर कौन है ढींट.....
अब तूफानों से टकरा कर देखना चाहता हूं मैं कि अपनों की अपनों के बीच खड़ी की गईं दीवारें ज़्यादा कठोर हैं या तूफानों की बेरहम ईंट... इनका रुख मोड़ना आसां है या अपनों का? आज़माना चाहता हूँ मैं कि आखिर कौन है ढींट.....
I write what i feel