बस दो पल ही तो माँग रही थी दुख कम करने का सहारा तुझसे बाँध रही थी

बस दो पल ही तो माँग रही थी
दुख कम करने का सहारा तुझसे बाँध रही थी

पर तूने भी नज़र अंदाज़ करके
हमे क्या खूब सिखाया है
सच कहें तो अपंग बनने से बचाया है ,
शुक्र गुज़ार हूँ तेरी
तेरे कारण मेरी शक्ति हुई मेरी
ये तो मेरी परीक्षा थी
तेरे सहारे रहती
तो भिक्षा थी......

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