हमारे ख्वाबों ने अपने ओरे से हमको घेरा था................

हम महकाने निकले थे
उन गलियों को
जहाँ गम का बसेरा था
चिराग लिए रोशिनी से मिलवाते थे
फिर भी दिलों में अंधेरा था ,

नफ़रातों के बीज से वो उग चुके थे
इसलिए हर तरफ मेरा तेरा था ,

हम फिर भी अपनी ज़िद का हाथ थाम
निकल चले थे ,
क्योकि हमारे ख्वाबों ने अपने ओरे से
हमको घेरा था................

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