ना देखा तुझे तो क्या फ़ायदा है जीने से......
ना देखा तुझे तो क्या फ़ायदा है जीने से...... मिलता नही तू मुझे मंदिर , मज़्ज़िद , गुरुद्वारे में जब ढूँढते- ढूँढते पहुँचता हूँ मैं तुझे तेरे दुवारे में , बस्ता है अगर तू दिल में तू क्यों बैठा चॉबारे में , ठोकर खिलवाकर ही पहुँचता तू किनारे में , इश्क़ की नुमाईश हुई मेरी तब तू कहाँ था ठुकराए जाने पर गिरा... तो क्यों उठा था , कैसे हैं ये तेरे जलवे मैं नही समझ पाता चाहे तू जलादे दीपक चाहे बुझाता , हालात के साथ अंधेरे में जब मैं चलता आँसुओं के साथ मैं जलता तेरे वजूद को मैं खोज नही पाता पर मिलजाता कोई अजनबी जो हाथ बढ़ाता, ये केसी अदा है मैं बेख़बर हूँ तू मुझमें है तो क्या? सच में मैं तेरे घर हूँ ? दिखा दे जलवा एक बार लगा कर सीने से ना देखा तुझे तो क्या फ़ायदा है जीने से.......