नाचे मेरे खुवाब झूमे कदम,

नाचे मेरे खुवाब
झूमे कदम,
चाहे हैं ज़ामी पर
या नींद में हम ,
एक नशा है
तुझमे एक अदा है
जीने का संग तेरे अपना...... अलग ही मज़ा है,
छल कपट की दुनिया से दूर हैं
आँखों में हर पल एक नूर है
जो जीने की कला का .......हर पल नया पहलू सिखाता है..............
आसमाँ को छूने की चाह को और भी बढ़ता है ............
रोज़ - रोज़ सीख रहा हूँ तुझसे ए ज़िंदगी
जो तूने मेरे हाथ ना थामा होता तो
आज में भी ज़माने की भीड़ में खो गया होता कहीं ........
sonalinirmit

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