मझधार मे सिमट के रह गए मेरे सवाल

मझधार मे सिमट के रह गए मेरे सवाल
किस राह को पॅक्डू नही पता मुझे.......
जाने क्यों मंज़िल नाराज़ है मुझसे
कहती है मोड़ तू अब खुद चुन ले  चुनले ............

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