ये वक़्त लौट कर ना आएगा ये वक़्त लौट कर ना आएगा तू अपने आज को आज ही जी ले कल ये सोच कर केवल पछताएगा , ध्यान से सुन समुंदर की लेहर दिन की दोपेहर , ढलती हुई शाम और महकती सहर , एक ही बात दौहराते हैं हम लौट कर ज़रूर आतें हैं पर साथ नया वक़्त ही लातें हैं , जहाँ लहरों में हर पल नई उमंग दोपहर में नई तरंग ढलती शाम फैला कर बाहें महसूस कर तुझे गले लगाएँ , इसलिए सपनो को तू सजाए जा कदमों को आगे बढ़ाए जा , ज़्यादा सोच मत ये वक़्त लौट कर ना आएगा , माँ के आँचल की महक को समेट ले जो मिला है उसको देख ले , अपनी ग़लतियों से हर पल सीख ले , जो छूट गया वो तेरा ना था सोच ले हर रोज़ सवेरा तुझे खुद जगाने आएगा , तू अपने आज को आज ही जी ले कल ये सोच कर केवल पछताएगा , वक़्त से कोई उम्मीद ना कर तू खुद से खुद को जीत ले तू , तेरे मुक़्क़दर को तुझसे कोई छीन नही सकता बस उसको हासिल करने के लिए.........अपने कर्म कर तू , ये वक़्त खुद तेरे आगे सिर झुकाएगा अपने आज को आज जी ले कल ये सोच कर तू केवल पछताएगा , खोबसूरती इस दुनिया की तेरा नज़रिया ही