खुशी की तलाश में घूमा गली गली

खुशी की तलाश में
घूमा गली गली
एक दिन थक कर बैठ गया
सवाल के जवाब में ऐंठ गया,
खुशी मुझे देख हस्ती रही
बोली
जिस सवाल में आज तक तेरी ज़िंदगी बस्ती रही
उससे मन को हटा लें
जो है उमे खुद को रामा लें,
इच्छा कर पर भटक मत
जो मिल जाए वो राह पकड़ अटक मत,
मैं तो तेरे ही भीतर रहती हूँ
बस तू देख नही पाता
जिनमें मुझे ढूंढता है
उनसे वास्तव में तेरा नही है कोई नाता
सोनाली सिंघल

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