ज़िंदगी से लड़ गए कई बार खुशियों से बिछड़ गए,
ज़िंदगी से लड़ गए
कई बार खुशियों से
बिछड़ गए,
टूट कर भी
उभर गए,
हर परिस्थिति से
गुज़र गए
उसके नाम का सहारा था
जिसने कॅम्ज़ोर लम्हें में
हमे पुकारा था,
पर आज इस पल लगता है
इंसान अपने आप से तो लड़ सकता
पर अपनों से नहीं
अपने आँसू देख सकता
पर अपनों के नही......................
कई बार खुशियों से
बिछड़ गए,
टूट कर भी
उभर गए,
हर परिस्थिति से
गुज़र गए
उसके नाम का सहारा था
जिसने कॅम्ज़ोर लम्हें में
हमे पुकारा था,
पर आज इस पल लगता है
इंसान अपने आप से तो लड़ सकता
पर अपनों से नहीं
अपने आँसू देख सकता
पर अपनों के नही......................
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