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Showing posts from June, 2017

वो कहते है हमसे

वो कहते है हमसे तुमने जो भी किया ग़लत ही किया , हमने उनकी और नज़रे घुमाई तो बोलें खबरदार जो तुमने जवाब कोई भी दिया वो फ़ैसला सुनते गए हमारे सवालों को बढ़ाते गए, इस तरह हमें खामोश कर वो नादान आनंद लेते हैं  पर शायद उन्हें इल्म नही कि इस तरह वे हमारे भीतर जलते आंदोलन को पनाह देते गए ...............

आस्था में विश्वास रखा

आस्था में विश्वास रखा कभी विश्वास में रखी आस्था, गाड़ी चलती चली गई क्योंकि साथ रहा मेरे ........ मेरे रब का वास्ता 

फूलों के देख मुस्कुराते हो

फूलों के देख मुस्कुराते हो मौसम के रंगों के साथ खिल जाते हो, हरियाली की उपज से भोजन का लुफ्त उठाते हो, प्रकृति की खूबसूरती को निहारने देश - विदेश घूमने जाते हो, फिर भी इनके प्रति अपना फ़र्ज़ नही निभाते हो.............. इनके हेतु सजक हो जाओ देश को आगे बढ़ाओ

राहों में ज़िंदगी के

राहों में ज़िंदगी के जिस पल से तुम्हें हमसफ़र बना लिया कदम ये ज़िंदगी में हमने अच्छा उठा लिया, ढूँढते थे जिसे किस्मत से उसने भी अपना लिया जिनसे मतलब के रिश्ते थे हमने उनसे फासला बना लिया , जो फूल खिल रहे थे उनके साथ खुद को भी महका लिया, दिल में उनके घर बनाने से खुशी ने हमारे घर में पनाह लिया, ए महोब्बत तेरे सजदे में हमने दिल सिर झुका लिया,

फ़ासले मिटाना चाहते हो अगर

फ़ासले मिटाना चाहते हो अगर तो अपना लो रास्ता हैं आसान, जिसे अपना लिया उससे कर लो महोब्बत............ जिसे अपना नही सकते उसका करना सीखो सम्मान.......

माँ की गोद में सिर रख आज सोने का है मन

मन डरा - डरा सा घूमे फिरा- फिरा सा, जिसे पकड़ना चाहता है वो और भी दूर भाग जाता है, बेवक़्त के स्वप्न मुझे डराने का कर रहे ज्तन, माँ की गोद में सिर रख आज सोने का है मन, ज़िंदगी की भीड़ में भागते - भागते आज एहसास होता है माँ के साथ हर लम्हें में विश्‍वास होता है, शायद इसलिए................. जैसे जैसे वक़्त का काँटा हमारी उम्र बढ़ता है, माँ के स्नेह से लिपटे धागों को इंसान .......... समेटना चाहता है, सच कहता हूँ माँ तेरी आशीर्वाद की शक्ति का व्यखायान किया नही जा सकता, मैं चाहे कहीं भी हूँ तेरे स्मरण में इतनी ताक़त है की ये डर का साया भी , भाग जाता.........    माँ तेरा आँचल हो चाहे तेरा एहसास   सुकून मिलता सिर्फ़ तेरे पास  ........ माँ की गोद में सिर रख आज सोने का है मन............

पिता वो सवेरा है

 पिता वो सवेरा है जिनके साथ सब कुछ मेरा है पिता वो शाम है जहाँ सब कुछ मेरे नाम है पिता है वो  सीख जिसे अपना लें तो ना माँगनी पड़े कभी भीक , पिता वो सम्मान है जिससे चलता हमारा नाम है, पिता वो सागर है जो खुद पियासा रह कर भरता हमारा खुशी का गागर है.......

मौसम का भी अपना एक अलग ही है जादू,

मौसम का भी अपना एक अलग ही है जादू, मन की चंचलता को कर देता बेकाबू, बरसे तो आँगन हमारा महके बाहें फैलाए कोयल भी चहके, भीनी भीनी सी बरसात की खुशबू जैसे करती हो हमसे गुफ्तगू, आकाश के बदलते नीले रंग भर देते मन में तरंग, बदलो की गड़गड़ाहट ठंडी पवन.................... कहती है हमसे झूम ले कुछ पल , ए खुदा के बंदे जब झूम रहा है गगन.............

महोब्बत

महोब्बत नशा तेरा इस कदर चॅड गया गुलाब की खुश्बू और रंग , दोनो ही फीका पढ़ गया, मेरे सनम तुझे एहसास नही तू मेरी कमज़ोरी बन चुकी मेरी ज़िंदगी तेरी महोब्बत के आगे थम चुकी, रूह तुझमे इस तरह रम गई तेरी साँसों के औरे में मेरी साँसे बँध गई...........

ग़लत फैमिय|

ग़लत फैमियों का असर इतना गहरा पड़ा आज सूरज को भी देखती हूँ तो लगता है ये भी किसी स्वार्थ के कारण है खड़ा...................

जब तक हम बेज़ुबान रहें

जब तक हम बेज़ुबान रहें हम परेशान रहें................ मन की कहने लगे हैं लगता है वाक्य जीने लगें हैं.................

ज़माने के हिसाब से चलते रहें

ज़माने के हिसाब से चलते रहें ये सोच कर कि एक ना एक दिन हम ज़माने को जीत लेंगें , ज़माना हमसे भी होशियार निकला हम उनके साथ कदमों को मिलाने के लिए जतन करते रहे........... और ज़माना हमारे ही कंधों का सहारा ले आगे निकला...................

तेरी आँखों में आज बग़ावत देख एहसास हुआ तेरे दर्द का

तेरी आँखों में आज बग़ावत देख एहसास हुआ तेरे दर्द का हम सोचते थे वक़्त की दावा ही काफ़ी है तेरे हर मर्ज़ का हमे इल्म ना हुआ तेरी खामोशी कब इंक़लाब में बदल गई, ज़रूरत से अधिक लूटा हमने तेरी सादगी को शायद इसलिए आज किस्मत हमसे ही चल गई...............