ज़माने के हिसाब से चलते रहें

ज़माने के हिसाब से चलते रहें
ये सोच कर
कि एक ना एक दिन हम ज़माने को जीत लेंगें,

ज़माना हमसे भी होशियार निकला
हम उनके साथ कदमों को मिलाने के लिए जतन करते रहे...........
और ज़माना हमारे ही कंधों का सहारा ले आगे निकला...................


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