धीमी धीमी चाल से जब तू आती है
धीमी धीमी चाल से जब तू आती है एक नशा बन कर छा जाती है धीमी धीमी चाल से जब तू लहराती है मेरे मन को और भी भाती है, तेरे इंतेज़ार में घड़ी इस कदर तकता हूँ मैं खुद में ही , खुद को झँकता हूँ, वो भी मुझे घूर घूर देख ,बंद हो जाती है मेरे अरमानों को, रोशिनी दिखा जाती है मैं समझता हूँ , तेरे आने का ये इशारा है तेरी आहट होते ही मानों मंज़िलों को मिलता, किनारा है ऐसा लगता है चारो और सजने वाली है महफ़िल, खुदा की रहमत मुझे बनाया तेरे काबिल झूमे समा मुस्कुराए लम्हा, रात चमके ऐसे जैसे सवेरा है तेरी कशिश में डूबने को बैठे संग मेरे मजनुओ का डेरा है, कैसे ब्यान केरूँ .....तेरे प्यार ने मुझे इस कदर घेरा है. धीमी धीमी चल से जब तू लहराती है मेरे मन को और भी भाती है.........