जिन आंसुओं को आज अपने दबाया है

जिन आंसुओं को आज  अपने दबाया है
उन्होंने ने ही आ कर मुझे सब बताया है,
की हम किनारे की तलाश में बैठे हैं
हमारे उफान के बीच, बंधे बाँध को तुड़वादो
इन आंसुओं को किनारे से मिलवादो,

क्योंकि  हम सैलाब बन, जिस घर में बैठे हैं
उसके दिल का बोझ, उसके कंधे भी अब नहीं सहते हैं,
उनको तो बेबसी ने जकड कर घेर लिआ है
हमारे सब्र ने हमसे, मुह फेर लिआ है,

पीड़ा होती है , बहुत सोच कर
की क्यों ये खुद से, इस कदर लड़ रहा है
और हमें भी बगावत करने पर मजबूर कर रहा है,
हर उस सोच को घर में जगह दे बैठा है
जो जीने की इच्छा को  ,ज़िन्दगी से दूर कर रहता है,

ओट  लो इन्हें इससे पहले ये इस आग में जल जाएं
रोक लो इन्हें, इससे पहले ये मौत से मिल जाएं ..................







Comments

Popular posts from this blog

जिंदगी तू बहुत खूबसूरत है हां जिंदगी तू बहुत खूबसूरत है ...