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Showing posts from February, 2016
एक दास्तान सुनती हूँ
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एक दास्तान सुनती हूँ, अनचाहा आईना दिखती हूँ जिसमे है हमारी पहचान छिपी मैं उससे परिचय करवाती हूँ, कि क्या खोते हैं क्या पाते हैं ये सब बनावटी बातें हैं, अपने आज को हम जीते नही सलोसाल जिएंगे ये सपने सजाते हैं कमाल करता है तू ओ मानव,,,,, कौन साथ है तेरे तुझे ईलम भी नही किसी और का क्या कहना तेरा तो अपना जिस्म भी नही, जिस दिन तूने दम है तोड़ा इसने तेरा साथ है छोड़ा, तेरे साथ मर मिटने वाले भी मस्त हो जाएँगे धयान से देखना हर ओर……….तुझे केवल भगवान ही नज़र आएँगे…….. धन्यवाद सोनाली सिंघल
जाने सफ़र किसका कितना लंबा है
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जाने सफ़र किसका कितना लंबा है, ये जानते हुए भी हर शाकस जीता अँधा है, जब छूट जाता है तब समझ आता है, के शायद दो पल औरमिल कर गुज़ार लेते, जो बिगड़ा झूट गया उसे सवार लेते.. पर अब रोने से कोई फ़ायदा नही जाने वाला चला गया , हम रह गए वहीं, सीख ये ही है कि……किसी से गीले शिकवे ना रख पियरे जाने कब किस मोड़ पर हो जाएँगे भगवान को पियरे……… धन्यवाद सोनाली सिंघल
माँ जीवन मे अनमोल है
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माँ जीवन मे अनमोल है माँ मीठे पियार के बोल है, माँ अंधेरे का उजाला है माँ पियार के रस से भरा पीयाला है, माँ है तो सब कुछ निराला है साथ चालू गर माँ के खुल जाता बंद हर एक टाला है, माँ के चर्नो मे चारो धाम है माँ ही सुबह और माँ ही शाम है, माँ की गोध मे संसार है माँ की आँखों से बरसता अनंत पियार है, माँ तू जगदंबा है हमारे आगे खड़ा हुआ खंबा है, जो हर धूप छाँ से हमे बचाती है गोध मे सिर रख हमे सुलाती है माँ तू विस्तार है माँ तू गीता का सार है, माँ संवेदना है माँ तू चेतना है, माँ का सर पर हाथ है तो सब आसान है माँ है तो सर पर आसमान है, माँ तू महान है माँ तेरे चर्नो को मेरा शत शत प्रणाम है तू है तो मुझमे जान है वरना सब कुछ बेज़ुबान है……. माँ तू महान है……. धन्यवाद सोनाली सिंघल
आज फिर माँ की गोद मे सिर रख कर सोने का मन करता है
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आज फिर माँ की गोद मे सिर रख कर सोने का मान करता है, भागती हुई इस ज़िंदगी मे कुछ पल अपना होने को मान करता है, शायद घड़ा बहुत भर गया है जिसको हलका करने , माँ के आगे रोने को मन करता है, क्युकि आज याद आते हैं वो दिन , जब जीते थे ज़िम्मेदारीओं के बिन जब हर तरफ थे खिलोने, आँखों मे सपने सलोने , ना कोई वादे ना कोई कसमे, हर पल थे अपने, और हम अपनी माँ के सपने…………… धन्यवाद सोनाली सिंघल
मेरा प्रश्न
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हमें सब कुछ है पता फिर क्यों हैं हम जुदा, क्यों हमें दर्शाना पड़ता है नाटक कविताओं आदि के दुवारा बार बार मनुष्यता का पाठ पड़ना पड़ता है, आख़िर कब जानेगें हम जीवन का सही अर्थ क्यों अपनाते हैं उसे जो है व्यर्थ, हम वो क्यों नही करते जिससे किसी के जीवन में खुशियाँ भरते, क्या आप अज्ञानी हो मैं नही मानती आप तो विधाता दुवारा रचे सबसे बड़े ज्ञानी हो मैं ये हूँ मनती, फिर क्यों दूध मूर्ति पर चड़ा नाली में बहाते हो और भूके की पियास नही भुजाते हो, दान निजी स्वार्थ के लिए नहीं किसी के सम्मान के लिए करो किसी पर एहसान समझ कर नहीं देश के उत्थान के लिए करो, पर जाने हम ये सब कब समझेंगे जिस मिट्टी में गंदगी मिला रहे हैं एक दिन उस ही में दफ़नेगें , क्यों हमे सफाई अभियान पड़ता है चलना क्यों हर पल ज़रूरी है आपको रास्ता दिखलाना, यदि हर कोई अपने घर के साथ – साथ आस – पास सफाई रखें तो क्यों ये बिमारीयों का कहर बरसे, क्यों हम जगह – जगह कागज़ चिपकाएँ अब बेटी बचाओं के भी नारे लगाएँ , आख़िर ऐसा क्या है हमारा दोष कब आएगा आपको होश, क्या आप स्वॅम देख नहीं सकते आज समाज में क्या -क्या
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Our Team Encouraged By Brother Mr Karan Bansal My Heartiest Thanks To My Family My Dear Friends Translater Sonia Bansal Artist Lakshyta Gupta Photographer Devinder Kumar & Dilip Kumar Honey Movies Team IT WAS MY PASSION TO WRITE POETRY BUT MY DREAM OF MAKING PEOPLE READ MY THOUGHTS/MY FEELINGS IS MADE TRUE WITH YOUR KIND SUPPORT. THANX FOR BEING WITH ME Special Thanks To Chanchal Maam Neha Manipur Mr Pradhan G & Team. Mr Ujwal G (Ramana Maharashi Center) Mr Raj Kumar & Mr Brij Mohan(Typist)