मेरा प्रश्न

हमें सब कुछ है पता
फिर क्यों हैं हम जुदा,
क्यों हमें दर्शाना पड़ता है
नाटक कविताओं आदि के दुवारा बार बार मनुष्यता
का पाठ पड़ना पड़ता है,
आख़िर कब जानेगें हम जीवन का सही अर्थ
क्यों अपनाते हैं उसे जो है व्यर्थ,
हम वो क्यों नही करते
जिससे किसी के जीवन में खुशियाँ भरते,
क्या आप अज्ञानी हो
मैं नही मानती
आप तो विधाता दुवारा रचे सबसे बड़े ज्ञानी हो मैं ये
हूँ मनती,
फिर क्यों दूध मूर्ति पर चड़ा
नाली में बहाते हो
और भूके की पियास नही भुजाते हो,
दान निजी स्वार्थ के लिए नहीं
किसी के सम्मान के लिए करो
किसी पर एहसान समझ कर नहीं
देश के उत्थान के लिए करो,
पर जाने हम ये सब कब समझेंगे
जिस मिट्टी में गंदगी मिला रहे हैं
एक दिन उस ही में दफ़नेगें ,
क्यों हमे सफाई अभियान पड़ता है चलना
क्यों हर पल ज़रूरी है आपको रास्ता दिखलाना,
यदि हर कोई अपने घर के साथ – साथ
आस – पास सफाई रखें
तो क्यों ये बिमारीयों का कहर बरसे,
क्यों हम जगह – जगह कागज़ चिपकाएँ
अब बेटी बचाओं के भी नारे लगाएँ ,
आख़िर ऐसा क्या है हमारा दोष
कब आएगा आपको होश,
क्या आप स्वॅम देख नहीं सकते आज समाज में
क्या -क्या हो रहा है,
क्यों इंसान अपने कर्तव्यों से हाथ धो रहा है,
आख़िर कब तक हम हर बात का मुद्‍दा बना उसे
उठाएँगे
इस तरह आपके कर्तव्यों को कब तक याद
दिलाएँगे,
क्यों हम विदेशी वस्तुओं को अपनाते जा रहे हैं
और अपने देश की बेरोज़गारी को बढ़ाते जा रहें हैं,
फिर कहते हैं आतंकवाद बड़ रहा है
अरे इंसान ही तो उसकी नीव को घड़ रहा है
ज़रा सोचो
हम बच्चे इस मंच पर
हँसने – हँसाने के क्या – क्या करतब दिखा
जानते हैं आपको बहलाना
परंतु माताजी कहती मौका मिला है तो ज़रूरी है इन
बातों को दोहराना,
ये बदलाव हमारा बलिदान नही
हमारे स्वाभिमान की पहचान है,
अब तो जागो दोस्तों
और लो ऐसा संकल्प
जिसका नही हो कोई विकल्प,
आज से आवाज़ नही हाथ से हाथ मिलाएँगे
हर अंधकार को दूर कर
मिलकर एक नया जहाँ बनाएँगे !!!

धन्यवाद
सोनाली सिंघल

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