हम आज भी उन्हीं पलों में जीते हैं जिनमें हम सिर्फ तुम्हारी बातों को सीतें हैं मेरे सनम तुम हमारे हर लम्हें में हो.. हम कैसे यकीं दिलाएं बिन तुम्हारे अब तक जिंदगी के पल कैसे बीते हैं..
ख्वाहिशों को फिरसे जिंदा कर लिया मैंने जीने के सबक को फिरसे सीख लिया मैने गुमराह हो गया था मैं "बातों में आ गया था जमाने की। भीड में खो गया था सबको हंसाने मनाने की
ये सोच कर मैंने एक बार फिर मुस्कुराहट को गले लगा लिया कि जो कल था वो आज है नहीं... जो आज हुआ वो सत्य है पर हम हैं कहीं ... जो कल होगा उसकी कल्पना है पर उस पर बस नही... फिर किस लिए इतना सोच रहा हूं क्यों जिंदगी को दबोच रहा हूं ? मुस्कुरा लेता हूं जिंदगी को गले लगा लेता हूं
अब समझ में आने लगा है कि हम जो चाहे करले.. जो चाहें सोच ले.. होगा वही जिसमे उसकी मर्जी है.. पर एक बात पक्की है जो मंजिल की चाहत में ज़मी आसमां एक कर दे.. वो उसकी अवश्य सुनता अर्जी है...
इधर से उधर भागंभाग में खुद को टोपी पहनना छोड़ दो अब तो अपना समझो यारों वक्त को आज़माना छोड़ दो ये दुनिया अदभुद है मान गए ना फिर भी एक वायरस ने दुर्बल बना दीया जान गए ना