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Showing posts from January, 2018

तेरी बेरूख़ी से भी , क्या खूब सीखा हमने

तेरी बेरूख़ी से भी क्या खूब सीखा हमने कि गम के छू लेने से हम कमज़ोर पढ़ जाते थे आज मुस्कुरकर गले लगाते हैं , तू भले ही हमें याद करे या ना करे हम तुझे गुरु मान इज़्ज़त से याद कर पाते है ...............

सिंदूर का सवाल

सिंदूर का सवाल आज वो मुझसे कह रही थी उसकी आवाज़ में पीड़ा बहुत गहरी थी ,                         उसने मुझसे किया एक सवाल माँग में जो मेरे सिंदूर है उसका रंग क्यों है लाल , किस बात का ये प्रतीक है जब की रिश्ते कहीं गुम है केवल तनहाईयाँ ही नज़दीक है , आख़िर किसके साथ हुआ था मेरा ब्याह सिंदूर में मिले लाल रंग के साथ या फिर मंडप में खाई गई , उन कसमों के पीछे छिपे भ्रम के साथ , कि मैं भी किसी की धुलन बन इतराउंगी अपने पति प्रेम संग जीवन बिताउंगी , कुछ ही पल लगा सब समझ आ गया , किस्मत का खेल सारे रंग दिखला गया , क्योंकि जिन्होने मुझे जन्म दिया उन्होने मुझे दान दे दिया , जिन्होने मुझे दान में लिया उन्होने मेरा मान ना किया , वे कहते रहे परवरिश में मेरी कमी है माँ बाबा कहते थे उनके हिसाब से चलो अब ज़िंदगी तुम्हारी वहीं थमीं है , उसका फिर सवाल कि अगर मुझे इस तरह करवट बदलनी ही थी ? तो मुझे बचपन में ही , ससुराल विदा कर देना था , मुझे पालने का फ़र्ज़ उन ही को दे देना था , शायद इस तरह मेरी ज़िंदगी कुछ आसां हो जाती दो परि

हमारा देश हमारी जान बेटियों हैं इस देश की शान.

गन्तन्त्र दिवस के मौके पर मिलकर बीड़ा उठाएँ बेटियों पर उठने वाली उंगलियों को जड़ से मिटाएँ ..... हमारा देश हमारी जान बेटियों हैं इस देश की शान.... गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाएँ

माना वक़्त नही है तेरे पास पर फिर भी माँ की तू है आस

माना वक़्त नही है तेरे पास पर फिर भी माँ की तू है आस नज़ाने तू कब उसके साथ वक़्त बिताएगा उसके साथ बैठ कर दो पल मुस्कुराएगा भूल रहा है तू पर वो नही भूल सकती तेरे लिए वो अब सिर्फ़ माँ है उसकी तू है जीने की शक्ति , तेरी बेरूख़ी उसकी साँसों को तड़पाती है तेरी नज़रें माँ कें आँसू क्यों नही देख पाती है क्यों वक़्त इन परिस्थितियों का साथ दे जाता है, क्यों बेटा माँ को बुढ़ापे में साथ नही दे पाता है, माना वक़्त नही है तेरे पास फिर भी तू ही है माँ की आस सलाम करते है उस ताक़त को जो अब है तेरे साथ जिसने मुस्काराकर गुज़रना सिखा दिया तुझे देख कर माँ का चेहरा उदास ...............

इसे अब मत बुझा

देख नही पाया मैं आँखों के समुंदर को.......उसके और जब ये सैलाब बन उठा तो एक ही आवाज़ सुनाई दी , इसे अब मत बुझा जब दिखाए तभ तुमने देखे नही अब ये रास्ता इन्होने खुद है चुना ... धन्यवाद

तुम्हें दिल दे दिया ......

शिकायत ही तो की थी तुमसे ऐसा क्या गुनाह कर दिया .... तुमने सच सुनकर मुँह फेर लिया हमने तकलीफ़ सहने के बाद भी तुम्हें दिल दे दिया ......

एकता ही बल है एकता ही सबल है .

वो मेरा है ये तेरा है इस सोच ने हमको घेरा है काश हम इस सोच के दाएरे से बाहर निकल सकें ये हमारा है मान कर साथ चल सकें ..... एकता ही बल है एकता ही सबल है .......... sonalinirmit.com

माँ

माँ वो धूप में खड़ी रह कर मेरा इंतेज़ार करती , मुझे पसीने में लिपटा देख भी प्यार करती मेरी एक मुस्कुराहट के लिए घंटों नाच  करती , माँ मेरी मुझसे बहुत प्यार करती , माँ , मैं देश विदेश घूम रहा हूँ किस तरह तुझे हर पल ढूँढ रहा हूँ , उसका छोटा सा व्याख्यान करना चाहता हूँ माँ इस चिट्ठी में , कुछ लम्हें तेरे नाम करना चाहता हूँ , माँ के हाथ के बने खाने के लिए हर जगह तरस जाता हूँ नींद तो बहुत दूर की चीज़ है कोई प्यार से पुकार दे , तो उसमें तुझे ढूँढ उस पर बरस जाता हूँ क्या बताउँ माँ फ़ोन पर तेरे दो शब्द सुनने के  लिए ही फोने मिलता हूँ ' बेटा तूने खाना खाया ' ये सुन कर ही पेट भरा पाता हूँ हर शक्स की आँखों में सवाल होता है कि आज क्या क्या किया , बस एक तू ही है जो कहती है सो जा अब , ' आज बहुत कुछ है किया ' बनावटी हेलो हाय करते करते जब थक जाता हूँ एक तू ही याद आती है जिसके आगे जैसा हूँ वैसा रह पाता हूँ ,  माँ तेरी ममता के आगे सिर झुकाता हूँ चाहे आसमाँ छूँ लूँ पर जहाँ की खुशियाँ मैं तेरे कदमों में ही पाता हूँ ,

मैं फिर भी ज़िंदा हूँ

मैं फिर भी ज़िंदा हूँ मौत से मिलकर किसी को मार देना , फिर भी आसान है जीते   जी किसी के ज़मीर को मार कर , उसे ज़िंदा रहने पर मजबूर कर देना क्या कहूँ ....... मैं......क्या कहूँ वो एक लाश है हर जगह है शमशान जिस्म तो ज़िंदा है पर मर गया भीतर बैठा इंसान , देखती है वो हर ओर नज़र आता है अंधेरा उसके जीवन में वो रात रह जाती है जिसका नही हो पाता कोई सवेरा , जीती है फिर भी वो क्योंकि साँसों का हिसाब पूरा हुआ नही मर कर उसने इंसाफ़ पाया तो क्या जो ज़िंदा रह कर , जीया ही नही................ मैं फिर भी ज़िंदा हूँ धन्यवाद

दोस्तों को शान में कुछ कहना चाहती हूँ

दोस्तों को शान में कुछ कहना चाहती हूँ तुम्हारा साथ है तो मैं जीना चाहती हूँ , लगता है ज़िंदगी खूबसूरत थी तुम्हारे बिना भी पर उस खूबसूरती का एहसास मैं तुम्हारे वजूद से ही पाती हूँ , सब कुछ वही था कुछ बदला भी नही था पर चाहिए थी जो खिलखिलाती हुई शामे वो तुम्हारे साथ ही सजाती हूँ , ये तो कुछ भी नही दोस्तों मैं तुम्हारी शान में बहुत कुछ कहना चाहती हूँ ...

सुख की चाह करदो प्रवाह हो जाएगा सुकून से निकाह

सुख की चाह करदो प्रवाह हो जाएगा सुकून से निकाह ... sonalinirmit.com

मौत तो अपनी हो जाती ....

काश इन मौत के थानेदारों को कोई रिशवत लेना सिखा देता ..... हमारी ज़िंदगी कुछ आसाँ हो जाती अपनो से ठुकराए जाने के बाद कम से कम मौत तो अपनी हो जाती ....

वक़्त का तमाशा है

वक़्त का तमाशा है कैसा करतब दिखता है ...... जिसके बिना कभी कल बीता नही उसका आज ज़िंदगी में वजूद नही, कल जो धुन मैं गुनगुनता था आज उससे दूर भागता हूँ, जिस खुदा को मैं कल मानता नही था आज सिर्फ़ उस ही को जनता हूँ.....

पहचान बनाने की खुवाहिश में निकला था गुमनाम हो गया सुबह का सूरज बन चमकना चाहता था अमावस का चाँद हो गया ....

पहचान बनाने की खुवाहिश में निकला था गुमनाम हो गया सुबह का सूरज बन चमकना चाहता था अमावस का चाँद हो गया ....

ज़िंदगी की खूब्सुसुरती में कोई जाना- पहचाना सा राज़ है नज़र आज़ाएगा अगर मान लो जो है वो आज है sonalinirmit.com

ज़िंदगी की खूब्सुसुरती में कोई जाना- पहचाना सा राज़ है नज़र आज़ाएगा अगर मान लो जो है वो  आज है sonalinirmit.com