माँ
माँ
वो धूप में खड़ी रह कर
मेरा इंतेज़ार करती ,
मुझे पसीने में लिपटा देख भी
प्यार करती
मेरी एक मुस्कुराहट के लिए
घंटों नाच
करती,
माँ मेरी मुझसे बहुत प्यार करती,
माँ , मैं देश विदेश घूम रहा हूँ
किस तरह तुझे हर पल ढूँढ रहा हूँ,
उसका छोटा सा व्याख्यान करना चाहता हूँ
माँ इस चिट्ठी में , कुछ लम्हें
तेरे नाम करना चाहता हूँ,
माँ के हाथ के बने खाने के लिए हर जगह तरस जाता
हूँ
नींद तो बहुत दूर की चीज़ है
कोई प्यार से पुकार दे, तो उसमें तुझे
ढूँढ उस पर बरस जाता हूँ
क्या बताउँ माँ
फ़ोन पर तेरे दो शब्द सुनने के लिए ही फोने मिलता हूँ
' बेटा
तूने खाना खाया '
ये सुन कर ही पेट भरा पाता हूँ
हर शक्स की आँखों में सवाल होता है
कि आज क्या क्या किया,
बस एक तू ही है जो कहती है
सो जा अब ,
'आज बहुत कुछ है किया'
बनावटी हेलो हाय करते करते जब थक जाता हूँ
एक तू ही याद आती है
जिसके आगे जैसा हूँ वैसा रह पाता हूँ,
माँ
तेरी ममता के आगे सिर झुकाता हूँ
चाहे आसमाँ छूँ लूँ
पर जहाँ की खुशियाँ मैं तेरे कदमों में ही पाता
हूँ,
माँ मेरी बहुत चाहती है मुझे
मेरी माँ को मैं भी बहुत चाहता हूँ|
धन्यवाद
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