माना वक़्त नही है तेरे पास पर फिर भी माँ की तू है आस

माना वक़्त नही है तेरे पास
पर फिर भी माँ की तू है आस

नज़ाने तू कब उसके साथ वक़्त बिताएगा
उसके साथ बैठ कर दो पल मुस्कुराएगा

भूल रहा है तू
पर वो नही भूल सकती
तेरे लिए वो अब सिर्फ़ माँ है
उसकी तू है जीने की शक्ति ,

तेरी बेरूख़ी उसकी साँसों को तड़पाती है
तेरी नज़रें माँ कें आँसू क्यों नही देख पाती है
क्यों वक़्त इन परिस्थितियों का साथ दे जाता है,
क्यों बेटा माँ को बुढ़ापे में साथ नही दे पाता है,
माना वक़्त नही है तेरे पास
फिर भी तू ही है माँ की आस
सलाम करते है उस ताक़त को
जो अब है तेरे साथ
जिसने मुस्काराकर गुज़रना सिखा दिया तुझे
देख कर माँ का चेहरा उदास ...............

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