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Showing posts from May, 2019
ज़िंदगी की गाड़ी कहीं रुक गई थी शायद मैं अबकी बार परिस्थितियों के आगे झुक गई थी............ वही नीला आकाश आज फीका सा नज़र आ रहा था क्योकि देखना जिसे चाह रही थी वो दिख नही पा रहा था....
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फिर किससे ये एहसास हैं तकरारे........
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एहसासों के मोतीओं को पिरों नही पाते नज़रें मिला कर तुमसे बुझे बुझे हो जाते , इशारे करते जब तुम हम खुद को गुम सुम से पाते , अनकहे शब्दो के भंवर में खुद ब खुद फँस जाते सपने देखते नही तुम्हारे जाने फिर क्यों गिनते हैं तारे दूर दूर तक थमा सन्नाटा फिर क्यों लगता की कोई है जो हमको है पुकारे , और जब दिखाई भी नही देता कोई फिर किससे ये एहसास हैं तकरारे ........
HAPPY MOTHERS DAY
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माँ जीवन मे अनमोल है माँ जीवन मे अनमोल है माँ मीठे पियार के बोल है, माँ अंधेरे का उजाला है माँ पियार के रस से भरा पीयाला है, माँ है तो सब कुछ निराला है साथ चालू गर माँ के खुल जाता बंद हर एक टाला है, माँ के चर्नो मे चारो धाम है माँ ही सुबह और माँ ही शाम है, माँ की गोध मे संसार है माँ की आँखों से बरसता अनंत पियार है, माँ तू जगदंबा है हमारे आगे खड़ा हुआ खंबा है, जो हर धूप छाँ से हमे बचाती है गोध मे सिर रख हमे सुलाती है माँ तू विस्तार है माँ तू गीता का सार है, माँ संवेदना है माँ तू चेतना है, माँ का सर पर हाथ है तो सब आसान है माँ है तो सर पर आसमान है, माँ तू महान है माँ तेरे चर्नो को मेरा शत शत प्रणाम है तू है तो मुझमे जान है वरना सब कुछ बेज़ुबान है....... माँ तू महान है....... Happy Mother's day
तो क्या हुआ हिम्मत है तुम्हारे पास, ज़िंदगी टूट गई तो क्या हुआ साँसे अभी हैं तुम्हारे पास, ज़िंदगी बिखर गई तो क्या हुआ धरती, समय और आकाश फिर भी देंगे साथ, ज़िंदगी सिर्फ़ तुम्हारी सोच पर निर्भर करती है वो फिर दौड़े गी बस हर हाल में रखो खुद पर विश्वास.....
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हमारे पहलें गुरु हर पल हमारे साथ हैं फिर भी हमे खुश रहने के लिए गुरुओं की तलाश है माँ-बाबा
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हर कदम पर साथ चलना बात नही हाथो मे हाथ रखना, लवज़ो से कह ही नही पाऊँगा मेरी आवाज़ नही .....खामोशी को पढ़ना, ये कला मैने तुमसे ही सीखी है आँखों के रास्ते ही तो महोबत जीती है, तभ मैं नही समझ पाता था अब समझा हूँ जब भी कुछ कहता था तुम खामोशी से क्यूँ एक्रार करती थी, अब ज़माने की नज़र से मैं डरता हूँ पहले तुम डरती थी.....
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हर कदम पर साथ चलना बात नही हाथो मे हाथ रखना , लवज़ो से कह ही नही पाऊँगा मेरी आवाज़ नही ..... खामोशी को पढ़ना , ये कला मैने तुमसे ही सीखी है आँखों के रास्ते ही तो महोबत जीती है , तभ मैं नही समझ पाता था अब समझा हूँ जब भी कुछ कहता था तुम खामोशी से क्यूँ एक्रार करती थी , अब ज़माने की नज़र से मैं डरता हूँ पहले तुम डरती थी .....
एक -दूसरे को काट कर आगे बढ़ने में तुम ज़िंदगी लुटा रहे हो तुम इस तरह सिर्फ़ इंसानियत को धोके बाज़ी का नकाब चढ़ा खुद को गड्ढे में गिरा रहे हो........
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एक -दूसरे को काट कर आगे बढ़ने में तुम ज़िंदगी लुटा रहे हो तुम इस तरह सिर्फ़ इंसानियत को धोके बाज़ी का नकाब चढ़ा खुद को गड्ढे में गिरा रहे हो........
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साथ चलने वाला वक़्त भी शायद कहीं व्यस्त है इसलिए मेरा इम्तेहान और भी सकत है..................
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