Posts

Showing posts from September, 2018

कंधे तो बहुत मिले राहों में हमने सोचा वक़्त आने पर सिर रख दो आँसू बहा देंगे हमे ना पता था वे हमारा जनाज़ा उठाने को बैठे थे ...........

कंधे तो बहुत मिले राहों में हमने सोचा वक़्त आने पर सिर रख दो आँसू बहा देंगे हमे ना पता था वे हमारा जनाज़ा उठाने को बैठे थे ...........

एक समारोह के समान बन गई है ज़िंदगी लोग आते हैं मज़े उठाते हैं और चले जाते हैं नज़ाने हम कुछ कह कर क्यों नही पाते हैं .............

एक समारोह के समान बन गई है ज़िंदगी लोग आते हैं मज़े उठाते हैं और चले जाते हैं नज़ाने हम कुछ कह कर क्यों नही पाते हैं .............

कहावत थी पुरानी आज मान गए जीत आए किले जब ठानी पर अपनो के आगे हार गए

कहावत थी पुरानी आज मान गए जीत आए किले जब ठानी पर अपनो के आगे हार गए..........

हमने पत्थरों की जात बनाई थी,

पत्थरों से बात की तो उनके मॅन की बात समझ आई थी वो मारना नही चाहते थे हमे बस तेज़ हवा के कारण हमें चोट पहुँचाई थी, वो कहते हैं धूप में रह कर पैरो तले रुंध कर हमने पत्थरों की जात बनाई थी, वरना हम भी मिट्टी ही थे जनाब बस हमने भी करमो की चोट खाई थी.............

युहीन नही होंठों पर तेरा नाम लेने से तर जाता हूँ ,

युहीन नही होंठों पर तेरा नाम लेने से तर जाता हूँ , तुझे अपनी ज़िंदगी का बादशाह कहता तेरी आँखों मे खुद की तस्वीर देख निखार पाता हूँ, खुदा को नही देखा पर तुझसे ज़्यादा क्या चाहेगा मुझे कह पाता हूँ, मैं फिसलूं या उड़ूँ दोनो की मंज़िल में तेरा साथ ही पाता हूँ ...........

हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ

देश विदेश घूम आया सारे वेश पहन आया, पर मन की आवाज़ मात्र भाषा से ही निकलती है जो हमे सीखनी नही पड़ती वो माँ की कोक से ..... विरासत में मिलती है हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ

दर्द की दवा केवल वक़्त के पास है और वक़्त अब हमारे पास है नही इसलिए काट लो या बांट लो मर्ज़ी है तुम्हारी................

दर्द की दवा केवल वक़्त के पास है और वक़्त अब हमारे पास है नही इसलिए काट लो या बांट लो मर्ज़ी है तुम्हारी................

सुख की चाह थी सुकून की राह थी पर दोनो ही रास नही आए जानते हो क्यों क्योकि मैने कदम उनके विपरीत चलाए

सुख की चाह थी सुकून की राह थी पर दोनो ही रास नही आए जानते हो क्यों क्योकि मैने कदम उनके विपरीत चलाए

हमने लाबो से गुज़ारिश की थी खामोश रहना आँखों से कहना भूल गए तुम बारिश ना करना .....

हमने लाबो से गुज़ारिश की थी खामोश रहना आँखों से कहना भूल गए तुम बारिश ना करना .....

कब्र ताक में बैठी थी हमसे मिलने की आरज़ू लिए

कब्र ताक में बैठी थी हमसे मिलने की आरज़ू लिए और हम चलते जा रहे थे हज़ारो सपनो के ले कर दिए, हारी वो जीते हम क्योकि दुआओं मे अपनो की उसे रोकने का है दम...............

ये आज भी वही जंग है जिसमें मैं जीतना नही चाहता था .............

गुम्सुम था लम्हां हवाओं का रुख़ था थमा करीब थे वो आज जिसके एहसास से वक़्त था जमा, नाराज़गियाँ थी होठों पर दिल में ढेर कड़वाहट वो तीखी नज़रे मिला रहे थे हमसे जिससे हो रही थी घबराहट, कैसे निकालूं उस भंवर से खुद को मैं धस रहा हूँ कुछ कह नही पा रहा पर सब सुन रहा हूँ , क्योकि छोड़ आया हूँ वो दौर जहाँ अपनी मौजूदगी साबित करने के लिए कठघरे में खड़ा होना पड़ता था ज़िंदगी जिसके नाम की थी उसको सबूत देना पड़ता था , फिर वक़्त का हाथ थामा जाओ तुम्हे आज़ाद किया खामोशी से कह हम निकल आए ये भी तो उस प्रेम का सबूत ही तो है जो वो आज यहाँ हमारे बगल में बैठ पाए, ज़ुबा की इज़्ज़त उन मीठी यादों के क़र्ज़ में मैं बनाए रखना चाहता था ये आज भी वही जंग है जिसमें मैं जीतना नही चाहता था ............. फिर भी तुम्हारा ....................

गुरु के श्री चर्नो को प्रणाम

भाव हैं भाषा है, सेवा है संस्कार है, यदि हमारा गुरु से साक्षात्कार है गुरु का बरसता हम पर प्यार है गुरु के श्री चर्नो को प्रणाम माता पिता - धरती आकाश सबका करते सम्मान 

रज़ा में उसकी एक अदा है वो जब जो देता है उस ही में मज़ा है जन्मअष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ

रज़ा में उसकी एक अदा है वो जब जो देता है उस ही में मज़ा है जन्मअष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ