सुख की चाह थी सुकून की राह थी पर दोनो ही रास नही आए जानते हो क्यों क्योकि मैने कदम उनके विपरीत चलाए

सुख की चाह थी
सुकून की राह थी
पर दोनो ही रास नही आए
जानते हो क्यों
क्योकि मैने कदम उनके विपरीत चलाए

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