क्यों हर पल हमें अपने आप से लड़ना पड़ता है
क्यों हर पल हमें
अपने आप से लड़ना पड़ता है
जिसे मन ना स्वीकारे
मजबूरन उसके साथ भी आगे
बढ़ना पड़ता है
समाज की दलीलों को
खुद की किताब में घड़ना पड़ता है,
मुस्कुराते हुए, संग खुद के
झगड़ना पड़ता है................
स्वम् विवेक के धागों को उधड़ना पड़ता है
मन के बलात्कार को स्वीकार कर
बेबसी की अग्नि में जलना पड़ता है .....
Comments
Post a Comment