Posts

Showing posts from April, 2016

किस खुदा की खोज में तू दर दर भटकता

किस खुदा की खोज में तू दर दर भटकता मैं तो तुझ में भी हूँ और उस में भी जो तुझे है खटकता , मैं तो संसार के कण कण में हूँ व्यापक गौर से देख तेरी नज़रें पहुँचे जहाँ तक , जिसे मैने अपना रूप दे धरती पर उतारा तूने तो उसे ही मिट्टी समझ धुतकारा , पत्थर की मूर्ति को पूजने से क्या सोचता है मैं तुझे मिल जांउँगा ( नहीं ) प्रेम भाव से सबको देखना शुरू करदे वादा है उस दिन ही दिख जांउँगा ...........

अकेले चलते चलते मंज़िल पर थक गया

अकेले चलते चलते मंज़िल पर थक गया उँचाईओ को छूने की चाह में मन फँस गया, मुड़ कर देखा तो मेरा साया भी मुझ पर हँस गया जिन्हें तू छोड़ आया है मुसाफिर  देख वहाँ काफिला बस गया, तेरे पास सुख दुख बाटनें को भी कोई नहीं अकेले इस बुलन्दिओ को छूने की चाह में तू किस दल दल में धंस गया, कई बार पुकारा भी तुझे पर तू नज़र अंदाज़ कर गया गौर फरमां खुद पर ए बंदे सब होते हुए भी अब तू अपनों के लिए भी तरस गया........

गलत फैमियाँ होना जायज़ हैं

गलत फैमियाँ होना जायज़ हैं क्युकि हम रिश्तों को निभतें हैं वक़्त यूँ ही नहीं किसी पर लुटाते हैं 

ज़िंदगी एक इतेफ़ाक है

ज़िंदगी एक इतेफ़ाक है यूँ कह लो एक मज़ाक है, कभी वफा देता है कभी बेवफा देता है, तो कभी जगा देता है कभी सुला देता है, क्यूँ हम इसके हाथो कट्पुतली बन नाचते हैं आख़िर हम सब कुछ इससे ही क्यूँ चाहते है,

बाप ने लाड़ में नाबालिक बेटे को गाड़ी थमा दी

क्या सही है क्या ग़लत है मैं नही जानती  बस मैं इतना जानती हूँ ..........  बाप ने लाड़ में नाबालिक बेटे को गाड़ी थमा दी  बेटे ने राह चलते इंसान की ज़िंदगी मिटा दी....... लाहपरवाह कौन है या कौन था ये सब बेकार की बातें है उन माँ बाप से पूछो जिनकी आँखों मैं अब सिर्फ़ आँसू आते हैं........

ज़रूरी नहीं सीखना सब कुछ

ज़रूरी नहीं सीखना सब कुछ ज़रूरी है सब कुछ सीखने की चाह , ज़रूरी नहीं हो सब कुछ हासिल ज़रूरी है खुद को बनाना काबिल , ज़रूरी नही हो हज़ारो हाथ ज़रूरी है ज़रूरत पर देना साथ , ज़रूरी नही कुछ साबित कर दिखलाना ज़रूरी है भटके हुए को रास्ता दिखलाना , ज़रूरी नहीं इच्छाओं को दबाना ज़रूरी है इच्छाओं की सीमा बनाना , ज़रूरी क्या है क्या नहीं कौन सोचता है पर ज़रूरी है इसपर विचार करना ज़रूरी है वास्तविकता को स्वीकार करना ........

तेरे आँसुओं की कीमत हम कभी चुका नही पाएँगे

तेरे आँसुओं की कीमत हम कभी चुका नही पाएँगे गुज़ारिश है तुझसे इन्हे इस कदर ना बहा वरना हम तुझे निभा भी नही पाएँगे, इसलिए नही की हम कठोर हैं बलकि इसलिए की हम कमज़ोर हैं लड़ सकते हैं हम जहाँ से पर लड़ेंगे नहीं रस्तो पर से काँटे तू खुद ही चुनेगी बस निकलेगी जिधर से हम मिलेंगे खड़े वहीं............

कोई शाम तेरी याद बिना गुज़रती नही गम ये है कि......

कोई शाम तेरी याद बिना गुज़रती नही गम ये है कि......... तू मुझे मिलती नही........ तेरा चेहरा मेरे चेहरे का पेहरा है मेरे होठों पर नाम सिर्फ़ तेरा है,,,,,,,,,,, चुटकी भर सिंदूर करता तुझसे गुज़ारिश है माँग में भर ले इसे .... हर खुशी तुझ पर वारी है......... तेरे कंगन की खनक मुझे सोने नही देती तुझसे मिलने की तलप को और भी भर देती....... एक बार भर के देख मुझे अपनी बाहों में फूलों से भर दूँगा.......... तू रखे कदम जिन राहों में................ कोई शाम तेरी याद बिना गुज़रती नही गम ये है कि......... तू मुझे मिलती नही.......