उम्मीद का जिक्र किया तो को सुकून मिला हिम्मत ऐसी बंधी मानो जैसे मंजिल पर पहुंच ही गया.. इसलिए प्रार्थना कि जिए वक्त जैसा भी है हमारा ही है हिम्मत से काम लो यारो पल पल निकलता जाएगा कोरोना से हमें मुक्ति भी ये वक्त ही दिलवाएगा
दुख तो जिंदगी में सभी के बहुत हैं बस फर्क इतना कोई हंस कर उड़ा देता है कोई रो कर कोई गम में डूब जाता है और कोई उस परिस्थिति में भी निखर कर आता है.. जय जय श्री राधे
जिस वक्त को हम पीछे छोड़ आए थे उस वक्त ने ही ये सबक सिखाया है कि हां ये सही है कि दुनिया किसी के लिए रुकती नहीं पर दुनिया की भीड़ में अकेला तुझे तेरे कर्मों ने ही बनाया है
कुर्बानी की परीक्षा क्या होती है यदि वाकई कभी समझनी हो तो सरहद पर बैठे वीर जवान से मिल लेना एक नज़र जी भर उन्हें देख लेना सब समझ जाओगे... और गर कभी किसी अपने के लिए कुछ कर भी गए तो उसे भी नही जताओगे..
मैं ढूंढ में उसकी निकल गई.. वो इंतज़ार में मेरी था बैठा हुआ.. मैं दर बदर, घर घर बिचल गई वो भीतर था मेरे जिसे मैं खुदा कहता रहा। कि शक्ति है वही.. मंजिल है वही.. रास्ता भी सही.. वो जहां है वो है वहीं बस चलना चाहता नहीं.. हर कोई..
क्या हुआ वक्त से रूठ गए क्या ? अपने ... छूट गए क्या ? सब्र से ... दोस्ती नहीं रही ? सांसे महंगी हो गई ? हां !! वाक्य जीवन बहुत कठिन.. पल पल में जतन है पर सांसों से नही... परिस्थियों से पर ये रीत चलती आ रही है सदियों से इसलिए सासों की कद्र करो जो तुम्हारे हाथ में नहीं है उसे स्वीकार कर मुश्किल वकत में भी मुस्कुरा कर बशर करो क्योंकि जो तुम्हारे पास है। वो भी बहुतों के पास नही जो है वो बहुत बढ़िया है भूल जाओ क्या गलत क्या है सही..
हां सही है वक्त कभी लौट कर नहीं आता मां बाप से बड़ा कोई और नहीं कहलाता फर्ज निभाने वालो के आगे कर्म भी झुक जाता जो मिल गया वही उत्तम है सब जानते है कोई नही मान पाता सच्चा दोस्त किस्मत वालों को ही मिल पाता और अनुभव से मिली सीख कोई नही दे पाता और तुम जिसे सच्चे दिल से चाहो उसे तुम्हारा होने से कोई नही रोक पाता राधे राधे
ये फिर केसा सा वक्त है क्यों इतना ज़्यादा सख्त है फिर से पृथ्वी तिलमिला उठी है कोरोना के कहर से कांप उठी है हे प्रभु उपचार करो हमसे हुई भूल को माफ़ कर उपकार करो
अल्फाजों में कुछ यूं जज़्बात हैं कि वो मिल जाते हैं महफीलों में कभी- कभी... और हम इस उम्मीद पर हिस्सेदार बन जाते हैं हर इक महफिल के फिर चाहे हो कहीं....
कहो ना क्या कहना है मैंने तुम्हारे इंतजार में और कब तक ऐसे रहना है ये श्रृंगार आज भी कर रहे हैं इंतजार क्योंकि मैंने किसी और के नाम का गहना अभी तक नही पहना है...
जिगर में जुनून है हां है। क्या बताएं क्या बात है हर पल में उस परमात्मा से मुलाकात है अब सुकून है ये कब कैसे हुआ मालूम नहीं पर अब मुझे सिर्फ उसके साथ पर ही विश्वास है
कोई शाम तेरी याद बिना गुज़रती नही गम ये है कि.... तू मुझे मिलती नही.... तेरा चेहरा मेरे चेहरे का पेहरा है. मेरे होठों पर नाम सिर्फ़ तेरा है चुटकी भर सिंदूर करता तुझसे गुज़ारिश है। माँग में भर ले इसे हर खुशी तुझ पर वारी है। तेरे कंगन की खनक मुझे सोने नही देती तुझसे मिलने की तलप को और भी भर देती एक बार भर के देख मुझे अपनी बाहों में फूलों से भर दूंगा तू रखे कदम जिन राहों मे कोई शाम तेरी याद बिना गुज़रती नही गम ये है कि... तू मुझे मिलती नही...... SONALINIRMIT
किसी के जाने का क्यों इंतज़ार करते हो.. जीतेजी कहो ना कितना प्यार करते हो.. आत्मा की तृप्ति के लिए .. इतने जतन क्यों करते हो.. जीतेजी थोड़ा वक्त निकाल कर सुनहरे लम्हें साथ बिता लो ना ज़िन्दगी तृप्त तो, आत्मा भी तृप्त .. ये बात खुद को समझा लो ना..