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Showing posts from June, 2018

जब तक तू साँसों से नही होसले से ज़िंदा है ...................

यूँ थक मत मुसाफिर ज़िंदगी से अभी सफ़र लंबा है , कौन यहाँ किसका है बस वक़्त हा अपना  तब तक जब तक तू साँसों से नही होसले से ज़िंदा है ...................

अब पता चला मौसम पर भी वक़्त का ही नूर था वक़्त क्या बदला मौसम भी बदल गए............

अब पता चला मौसम पर भी वक़्त का ही नूर था वक़्त क्या बदला मौसम भी बदल गए............

बैठ गई हर नज़्म पर उसकी परछाई लिख ना पाएँगे अब बिन देखे उनको कहती है स्याही

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वक़्त से सबको उम्मीदें हैं पर खुद के कर्म मौन है

ज़िंदगी सब जी रहें हैं पर ज़िंदा कौन है ? वक़्त से सबको उम्मीदें हैं पर खुद के कर्म मौन है 

वक़्त वक़्त की बात है काश हम ये समझ पाते तो हर हाल में मुस्कुराते

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फिर अपना बना कर ही दम लेंगे

ग़लत समझ बैठे थे कुछ अपने हमें पर हमने भी ठान ली थी सफाई नही देंगे वक़्त ने साथ दिया तो वक़्त के साथ  फिर अपना बना कर ही दम लेंगे 

खुवाब सीए नही जाते खुवाब जीए जातें हैं

खुवाब सीए नही जाते खुवाब जीए जातें हैं 

तुम उसी खुदा के रूप हो जिससे आज नही तो कल तुम खुद मिल जाओगे

मंज़िल मिल जाएगी या खुद मंज़िल बन जाओगे भाग्य तुम लिख नही सकते पर भाग्य तुम खुद बनाओ , कदमो पर खुद के तुम यकीन करो दम है इनमें तुम कर्म करो , मंज़िल मिल जाएगी या खुद मंज़िल बन जाओगे क्योकि तुम उसी खुदा के रूप हो जिससे आज नही तो कल तुम खुद मिल जाओगे

जो आज हमने रोटी खाई है वो किस्मत में लिखी थी ?

कहते हैं किस्मत के लिखे को कोई बदल नही सकता मेरा ये मानना है कि किसे पता है जो आज हमने रोटी खाई है वो किस्मत में लिखी थी ? इसलिए हर पल को सलाम करो और आगे बढ़ो ..........

पत्थर सी हो गई ......

More मुस्कुराते रहने का हुनर हम पर यूँ भारी पड़ा कि जब गम बताना चाहा तो लोगो ने मज़ाक में दिया उड़ा हमारी आँखों का समुंदर बह नही पाया मन उस तूफान को से नही पाया , तब से मुस्कुराते रहने की अदा से यूँ नफ़रत सी हो गई , खूबसूरत लगती थी जो ज़िंदगी उस पल से पत्थर सी हो गई ......

ये लड़कियां बड़ी फुर्सत मैं सवर कर आती हैं

होठों पर शरारत आँखों में अदाएं दिल है महोब्बत इंतज़ार में बैठी बाहें फिर भी खूब इतराती हैं क्योकि ये लड़कियां बड़ी फुर्सत मैं सवर कर आती हैं

रूठो मगर इतना नहीं कि अपने मनाना छोड़ दें , हालत के चलते दूरियां बनालो मगर इतनी नहीं कि रिश्ते करीब आना छोड़ दें

रूठो मगर इतना नहीं कि अपने मनाना छोड़ दें , हालत के चलते  दूरियां बनालो मगर इतनी नहीं कि रिश्ते करीब आना छोड़ दें

प्लास्टिक का करें त्याग उगाएं पेड़ सजाएं बाग़ वातावरण को दूषित होने से बचाएं जीवन को स्वस्त बनाएं

प्लास्टिक का करें त्याग उगाएं पेड़ सजाएं बाग़ वातावरण  को दूषित होने से बचाएं जीवन को स्वस्त बनाएं

जाने कब समझूंगा भगवान नहीं हूँ इंसान हूँ

यूँ घबराते घबराते ...... थक गया कल क्या होगा इस सोच में उलझ कर आज में फंस  गया अनुमान तो अगले पल का भी लगा नहीं पाता हूँ सोच में इस तरह डूबा हूँ जैसे किस्मत के पन्नों में जो लिख ता हूँ वही पाता हूँ ...... जाने कब समझूंगा भगवान नहीं हूँ इंसान हूँ

ज़िन्दगी हर हाल में खूबसूरत ही है इस बात को गले लगा हर वक़्त बिता लेता हूँ ............

यूँ ही नहीं मंज़िलों को पा  लेता  हूँ कभी उठता हूँ तो कभी सिर झुका लेता हूँ कभी जीत का जशन तो कभी हार को गले लगा लेता हूँ ज़िन्दगी हर हाल में खूबसूरत ही है इस बात को गले लगा हर वक़्त बिता लेता हूँ ............