जाने कब समझूंगा भगवान नहीं हूँ इंसान हूँ
यूँ घबराते घबराते ...... थक गया
कल क्या होगा इस सोच में उलझ कर
आज में फंस गया
अनुमान तो अगले पल का भी लगा नहीं पाता हूँ
सोच में इस तरह डूबा हूँ
जैसे किस्मत के पन्नों में जो लिख ता हूँ
वही पाता हूँ ......
जाने कब समझूंगा
भगवान नहीं हूँ
इंसान हूँ
कल क्या होगा इस सोच में उलझ कर
आज में फंस गया
अनुमान तो अगले पल का भी लगा नहीं पाता हूँ
सोच में इस तरह डूबा हूँ
जैसे किस्मत के पन्नों में जो लिख ता हूँ
वही पाता हूँ ......
जाने कब समझूंगा
भगवान नहीं हूँ
इंसान हूँ
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