तेरी चाहत का चढ़ा अजब सा फितूर है जीना है बस अब वहां जहाँ तेरा सुरूर है , नज़्में में लिख पाता हूँ तेरे ही वजूद से तेरा मेरा रिश्ता जैसे छाऊ और धुप से , मन लगाता नहीं खुद ब खुद लग जाता है जहाँ भी जाऊँ बस तू ही नज़र आता है ............
शामें भीगी गई. थी राते सूखी सूखी सुबह का सवेरा बना अँधेरा और दोपहर को मजबूरियों ने जैसे घेरा सिर्फ एक तुझसे जुड़ा हूँ तो इस मोड़ पे खड़ा हूँ तुझ में मिल गया तो सोच नहीं पा रहा ग़ुम जाऊंगा या खिल जाऊंगा पर अंजाम जो भी हो इस आग में कूदे बिना रह भी नहीं पाउँगा
कहते हैं कश्ती डूबी वहाँ जहाँ पानी कम था हम कहते हैं .............. आँसू भी कहाँ निकले थे उन आँखों से जहाँ समुंदर बंद था....... आग लगी थी आग भी लगी थी वहाँ जहाँ पर धुआँ कम था महोबबत पनप रही थी उस दिल में जहाँ धड़कनो से जंग था उम्र निकल गई तो समझा ये शरीर ही मेरा मेरे संग था
आनंद की खोज कर रहा हर मनुष्य भीतर है सब कुछ पर फिर भी जानना है भविष्य, कल जीने के लिए आज जी नही रहा जैसे कल पक्का ज़िएगा स्वॅम भगवान ने हो कहा .........
तुम्हारी खामोशी भारी मुस्कुराहट बहुत कुछ कह जाती है..... लफ़्ज़ों का क्यों बेवजह इस्तेमाल करती हो हमारे जवाब में बस मुस्कुरा दिया करो वही काफ़ी है............
सज़दे में माँ के हम सिर झुकाते हैं साँसे ले या ना लें हम जगजननी के ही कहलाते हैं उसके आशीर्वाद से हम जहाँ की खुशियाँ पाते हैं माँ ममता की कोई सीमा नही खुशनसीब होते हैं वो लोग जो इस बात को समझ पाते हैं.......... happy mothers day
यूँ ही नही हम खुवाबों से मिल पाते हैं दोस्तों ये आपका प्यार ही है जो हम आसमाँ छू पाते हैं........... वहाँ हम टीके ना टीके हमें परवाह नही खुशी इस बात की है की हम कहीं भी हों खुद को अपनों के साथ ही पाते हैं........
वो नज़ारे हवाओं के थे जिनके रुख़ के चलते खुद ब खुद नज़मों में अल्फ़ाज़ सिले जा रहे थे, और उन छुपी नज़मों में असर आपकी महोब्बत का था जो उन हवाओं की और हमको लिए जा रहें थे .....
कुछ दोस्त यूँ रखते हैं मुझे संभाल कर कि क्या कहूं , खरा उतर जाता हूँ ज़िन्दगी कि हर चाल पर और अब उनकी इतनी आदत सी हो गई है कि लोगो को दीखता हूँगा मैं एकेला पर उन्हें नहीं पता मेरे साथ हर पल चलता है ........मेरे दोस्तों का मेला ...... दोस्त यूँ मुझे हाथों पर रखते हैं खुदा दीखता हैं जब वो हस्तें हैं खुदा दीखता हैं जब वो हस्तें हैं
ज़िंदगी को जेसे देखो गे वेसी ही दिख जाएगी, तुम किसी को सताओगे तो क्या सोचते हो तुम्हें बक्ष जाएगी......... लगी आग आज उधर तो कल इधर भी आ जाएगी, ये मौसम की तरह रुख़ बदल देती है तुम नही रोकोगे तो तुम पर भी एक दिन गिर जाएगी ज़िंदगी को जेसे देखो गे वेसी ही दिख जाएगी
सफ़र में अपना कोई मिल जाना चाहिए मन की गुफ्तगू को गुनगुनाने का बहाना चाहिए कदम ना रुके वो दीवाना चाहिए , मंज़िलों में महफ़िल का ताना बाना चाहिए, हर लम्हें को खूबसूरत तस्वीर बना दिल में बसाना आना चाहिए........ हम एकेले हों या मेफ़िलों के मेले हों हर हाल में मुस्कुराना चाहिए...........
एक खूबसूरत वक़्त का हिस्सा हैं हम दूर होने का तू ना कर गम, यक़ीन कर वो यादें मुस्कुराने के लिए काफ़ी हैं क्या पता फिर मिल जाएँ ज़िंदगी अभी बाकी है ...................
यूँ ही कुछ खुवाहिशों से बाते कर रहें थे क्या पता था...उस पल की खुवाहिशों... को भगवान भर रहे थे....... मिल गए थे हम अगले ही पल उनसे यकीं ना हुआ हर रूप मैं स्वरूप उस खुदा का मिला जिसकी कर रहे थे हम दुआ............ sonalinirmit.com